भोपाल न्यूज: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित व्याख्यानमाला में जेएनयू की प्रोफेसर डॉ. रितु प्रिया ने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य को लोगों तक पहुंचाने के लिए जिस तरह निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसने स्वास्थ्य की समस्या को और गहरा कर दिया है। यह संकट केवल भारत का नहीं, पूरी दुनिया का है, उन देशों का भी जहां निजीकरण अधिक है, उन देशों में भी जहां स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार अधिक खर्च कर रही है।गांधी भवन, भोपाल में डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यान माला में बोलते हुए डॉ. रितु प्रिया ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर दवा तक सीमित कर दिया गया है, जबकि पूरा मामला परिवेश का है। व्याख्यान माला का विषय सार्वभौमिक स्वास्थ्य और वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल का संकट एवं चुनौतियां था। मुख्य वक्ता डॉ. रितु प्रिया जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कम्युनिटी हेल्थ एंड कम्युनिटी मेडिसिन में प्रोफेसर के रूप कार्यरत हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में मुख्य रूप से कहा कि आज के समय में हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के साथ ही हम सभी स्वास्थ्य आंदोलनों और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत साथियों को अपना एक दृष्टिकोण भी बनाना होगा।
उन्होंने अमेरिका के स्वास्थ्य संकट का जिक्र किया, साथ ही इंग्लैंड की स्वास्थ्य सुविधाओं का भी। उन्होंने कहा कि तमाम बीमारियों को सावधानी के साथ रोका जा सकता है। उन्होंने क्यूबा का उदाहरण देते हुए बताया वहां किस तरह परंपरागत ज्ञान का इस्तेमाल करके बीमारियों को रोका जाता है, इसके लिए स्कूली बच्चों को तैयार किया जाता है। उन्न्होंने कहा, हमारे देश में भी परंपरागत ज्ञान की कमी नहीं है, पर हम इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर रहे। अमेरिका जैसे देश में चिकित्सकों पर जिस तरह का दवाब डाला जा रहा है, उसके कारण एक लाख से अधिक डॉक्टरों ने अपना पेशा छोड़ दिया है। स्वास्थ्य का निजीकरण जिस तरह किया जा रहा है, उससे लोग कर्ज में डूबते जा रहे हैं, यह भारत में भी हो रहा है, अमेरिका जैसे देश में भी, जहां हर व्यक्ति का बीमा है। उन्होंने कहा कि लोगों को दवा की जरूरत 20 फीसदी तक होती है, 80 फीसदी मामला परिवेश पर निर्भर करता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डॉ. मनोहर अगनानी ने की। उन्होंने कहा कि हमारे देश की जरुरत अलग है इसलिए इसके लिए अपना ही मॉडल काम कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राथमिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना होगा। भारत की आबादी जवान है, इसलिए उसकी चुनौती अलग है। कार्यक्रम का संचालन एस.आर. आजाद ने किया, मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. माधव हसानी ने वक्ताओं के प्रति आभार जताया। हर साल की तरह इस वर्ष भी स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के केरल के डॉ. बी. इकबाल को जन स्वास्थ्य सम्मान से सम्मानित किया गया।