देहरादून न्यूज़: मंडुवा (रागी) के साथ ही मिलेट से जुड़ी झंगोरा, चौलाई, कुलथ, रामदाना, कौणी जैसी फसलें भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में आ सकती हैं.
मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि राज्य अपने क्षेत्र की फसलों के बारे में संस्तुति प्रस्ताव भेज सकते हैं. केंद्र सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी. यह मुद्दा प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री के सामने रखा था.
वर्तमान में राज्य सरकार अपने स्तर से तय एमएसपी पर झंगोरा, चौलाई, कुलथ, रामदाना को खरीदती है. इससे पहले कार्यक्रम में चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं. प्रदेश सरकार अधिक से अधिक क्षेत्र को आर्गनिक खेती के रूप में घोषित करे. यदि एक पूरा जिला आर्गनिक खेती के जिले के रूप में घोषित होता है तो वहां के उत्पादों के लिए लार्ज एरिया सर्टिफिकेट जारी हो जाएगा. इससे किसानों को अपनी फसलों के लिए व्यक्तिगत रूप से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं रहेगी.
12 साल में नौ रुपये से 35 रुपये किलो हो गया मंडुवा मंडुवा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले 12 साल में काफी अंतर आया है. वर्ष 2010-11 में मंडुवा का एमएसपी प्रति कुंतल 965 रुपये था. सर्वाधिक मूल्य 2018-19 में बढाया गया था. तब 1900 रुपये प्रति कुंतल से बढ़ाकर एमएसपी को 2897 रुपये कर दिया गया था. पिछले साल वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार ने मंडुवा की एमएससपी 3578 रुपये प्रति कुंतल तय की है. कार्यक्रम में कुछ विलंब से पहुंचे हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने भी श्री अन्न के लाभ और उसके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने राज्य के प्रयोग की तारीफ भी की.