बिना प्रशिक्षक के खुद ही करते हैं प्रैक्टिस, खिलाड़ी भविष्य लगा रहे दांव पर
मेरठ: खेलो इंडिया का नारा यहां बेमानी साबित हो रहा है। केन्द्र व राज्य सरकारें खेलो को बढ़ावा देने के दावे करती है, जिले में प्रदेश का पहला खेल विश्वविद्यालय बन रहा है। मेरठ को खेलों का हब भी कहा जाता है लेकिन यहां के स्पोर्ट्स स्टेडियम में कोचों की भारी कमी है। जिन खेलो के कोच स्टेडियम में उपलब्ध है उनके खिलाड़ियों को तो प्रशिक्षण मिल रहा है
लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे खेल है जिनके लिए कोच नहीं है। ऐसे में इन्हें खेलने वाले खिलाड़ी खुद ही बिना प्रशिक्षक के प्रैक्टिस कर रहें है लेकिन इनका भविष्य क्या होगा कोई नहीं जानता। कोचो की कमी का सामना पूरा प्रदेश कर रहा है, प्रदेश के 75 जिलों के लिए खेल निदेशालय में कुल 115 कोचों की ही नियुक्ति है। जबकि ऐसे भी कई जिले है जिनमें मौजूद स्टेडियमों में एक भी कोच नहीं है।
स्टेडियम में 16 खेलों के लिए है खिलाड़ियों का रजिस्ट्रेशन: कैलाश प्रकाश स्टेडियम में 16 खेलो के लिए 12 सौ खिलाड़ियों ने रजिस्ट्रेशन करा रखा है। इनमें बैडमिंटन, बॉस्किटबॉल, हैंडबॉल, तीरंदाजी, स्वीमिंग, फुटबॉल, वॉलीबाल, लॉन टेनिस, जिमनास्टिक व जूडो के लिए कोई कोच नहीं है। जबकि बॉक्सिंग, हॉकी, एथलेटिक्स, क्रिकेट, शूटिंग व रैसलिंग के लिए ही कोच उपलब्ध है। कई बार स्टेडियम प्रशासन ने शासन को कोचो की कमी को लेकर पत्र लिखा है लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है। नए कोच नहीं मिलने से खिलाड़ियों का प्रशिक्षण भी प्रभावित हो रहा है।
खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर: जिन खेलो के कोच स्टेडियम में नहीं है उन्हें खेलने वाले खिलाड़ी खुद ही प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन बिना कोच के खिलाड़ी क्या सीख रहें है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
साथ ही बिना कोचों के खिलाड़ियों की परफार्मेंस और क्षमता को कौन परखेगा यह भी बड़ा सवाल है। जिन खेलो के लिये राज्य व राष्टÑीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित होती है खिलाड़ियों को उनमें भाग लेने के लिए कौन आगे बढ़ाएगा।
निकल रही खिलाड़ियों की उम्र: बिना कोच के स्टेडियम में पसीना बहाने वाले खिलाड़ियों की बड़ी संख्या है। इन खिलाड़ियों का कहना है वह खेल में अपना भविष्य बनाना चाहते है लेकिन बिना कोच के यह कैसे संभव होगा पता नहीं। कई खिलाड़ी तो पांच साल से यहां प्रैक्टिस कर रहें है अब उनकी उम्र भी निकलती जा रही है। इसकी जिम्मेदारी लेनें वाला भी कोई नहीं है, उम्र निकलने के बाद वह आगे क्या करेंगे पता नहीं।
गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों से आते है खिलाड़ी: कैलाश प्रकाश स्टेडियम में गरीब व मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चे अपने सपने को साकार करने की इच्छा लेकर आते है। लेकिन यहां कोच नहीं होने पर उनके सपने टूटने लगे है। पैसे के आभाव में ही सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने पहुंचते है लेकिन जब कोच ही उपलब्ध नही तो फिर सुविधाओं को तो भूल ही जाइये।
पिछले एक साल में स्टेडियम में बढ़ी है खिलाड़ियों की संख्या: कैलाश प्रकाश स्टेडियम में पिछले एक साल में खिलाड़ियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। पहले जहां खिलाड़ियों की संख्या सात सौ तक रहती थी अब केवल रजिस्टर्ड खिलाड़ियों का आंकड़ा ही 12 सौ के पार जा चुका है। जबकि ऐसे भी खिलाड़ी है जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन कोच न होने की वजह से नहीं कराया है। आनें वाले समय में खिलाड़ियों की संख्या और बढ़ने का अनुमान है। स्टेडियम में कुल सात कोच है जबकि यहां 16 खेलों में बच्चों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है। जिन खेलो के कोच नहीं है उनके खिलाड़ी खुद ही प्रैक्टिस करते है। कई बार शासन को कोचो के लिए लिखा जा चुका है, देखते है मांग कब पूरी होती है। -योगेन्द्र पाल सिंह, प्रांतीय क्रीड़ा अधिकारी।