डॉक्टरों की रोजाना हिंडन एयरपोर्ट और वीआईपी ड्यूटी के कारण अस्पतालों में मरीज हुए परेशान

एयरपोर्ट पर यात्रियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकारी डॉक्टरों की ड्यूटी लगी है

Update: 2024-05-23 09:39 GMT

गाजियाबाद: जिले के दोनों बड़े अस्पतालों से डॉक्टरों की रोजाना हिंडन एयरपोर्ट और वीआईपी ड्यूटी लग रही. इससे ओपीडी में मरीजों को परेशानी हो रही. दोनों अस्पतालों में रोजाना पांच से छह डॉक्टर नदारद रहते हैं. मरीजों का कहना है कि वीआईपी डॺूटी से उन्हें भटकना पड़ रहा.

दिल्ली से सटे होने की वजह से गाजियाबाद में वीआईपी मूवमेंट अधिक रहता है. यही वजह है कि हिंडन एयरपोर्ट पर भी वीवीआईपी मूवमेंट बढ़ गई है. एयरपोर्ट से अभी कुछ ही फ्लाइट ही संचालित हैं, लेकिन सीएमओ के निर्देश पर जिला एमएमजी अस्पताल से दो-दो दिन के लिए चार डॉक्टरों की 15 दिन तक ड्यूटी लगाई गई है. इसी तरह संयुक्त अस्पताल से भी तीन डॉक्टरों की दो-दो दिन के लिए 15 दिन तक ड्यूटी लगाई गई है. एयरपोर्ट पर यात्रियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकारी डॉक्टरों की ड्यूटी लगी है.

यही हालत वीवीआईपी ड्यूटी को लेकर हैं. दोनों अस्पतालों से पांच से छह चिकित्सकों के नदारद होने से ओपीडी सेवा प्रभावित हो रही. मरीजों को घंटों खड़े रहना पड़ रहा है. गंभीर बात यह है कि इन दिनों जिन डॉक्टरों की एयरपोर्ट पर ड्यूटी लगी है, वो डॉक्टर को दिल के रोगियों के साथ मानसिक रोगियों को भी देखते हैं. ऐसे में दो दिन से उनकी ओपीडी बंद है और मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. इसके अलावा एयरपोर्ट और वीआईपी ड्यूटी में हड्डी रोग, फिजिशियन और पैथोलॉजिस्ट भी शामिल हैं.

ये हैं नियम: नियमानुसार यात्रियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए ही एयरपोर्ट अथॉरिटी को अपने स्तर से डॉक्टरों की व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन अथॉरिटी ने इसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर डाल दी है. जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ ने इन ड्यूटी का भार जिले के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों और सीएचसी, पीएचसी को छोड़ जिला अस्पतालों पर डाल दिया गया है. इससे मरीजों को परेशान होना पड़ रहा.

सीएमओ के अधीन डॉक्टर लगने चाहिए: एयरपोर्ट ड्यूटी के लिए सीएमओ स्तर से डॉक्टरों को भेजा जाना चाहिए. सीएमओ के अधीन सौ से ज्यादा डॉक्टर हैं. इनमें से 25 से ज्यादा डॉक्टर तो सीएमओ ऑफिस से ही अटैच हैं. यदि सीएमओ ऑफिस से अटैच डॉक्टरों की एयरपोर्ट पर ड्यूटी लगाई जाए तो जिला अस्पतालों में ओपीडी प्रभावित नहीं होगी और मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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