सेहत के लिए वरदान है गैर रासायनिक खेती, जैविक खेती के बूते मिसाल बन गए दीपक चौधरी
अंबेहटा न्यूज़: आज के समय में देश का किसान पैदावार बढ़ाने के लिए फसलों में अंधाधुंध रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर रहा है जिसका प्रभाव न केवल आम आदमी के स्वास्थ्य पर बल्कि कृषि भूमि पर भी पड रहा है। रासायनिक खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से पहले तो कृषि भूमि खूब पैदावार देती है लेकिन धीरे-धीरे उसकी पैदावार क्षमता कम होती चली जाती है। रासायनिक खादों का इस्तेमाल कर खेती करने वाले किसानों से अलग गंगोह ब्लॉक के गाँव फतेहचंदपुर के प्रगतिशील किसान दीपक चौधरी रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं। दीपक चौधरी अपनी फसलों में किसी भी प्रकार के रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं करते हैं बल्कि गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद तैयार कर अपनी फसलों में इस्तेमाल कर रहे हैं। दीपक चौधरी अपने खेतों में जो फसल तैयार कर रहे हैं उसकी मांग दूर-दूर तक है। सबसे बड़ी बात यह है कि दीपक चौधरी रसायन मुक्त खेती करके लोगों को अच्छा स्वास्थ्य देने के साथ-साथ मुनाफा भी कमा रहे हैं।
30 बीघा जमीन में गन्ना: गांव फतेहचंदपुर के किसान दीपक चौधरी ने अपनी 30 बीघा जमीन में गन्ने की फसल तैयार की है। गन्ने की इस फसल में गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार खाद का इस्तेमाल किया है। गन्ने की फसल बिल्कुल रसायन मुक्त है।
अपना ही लगा रखा है कोल्हू: दीपक चौधरी ने अपने खेत पर ही कोल्हू लगा रखा है जिसमें वह अपने खेत में ही तैयार हुए गन्ने से गुड और शक्कर बना रहे हैं। उनका यह गुड़ और शक्कर 80 और 75 रुपये किलो तक बिक रहा है जो सामान्य गुड और शक्कर से लगभग 2 गुना ज्यादा है।
क्या कहते है दीपक चौधरी: गाय के गोबर और गोमूत्र से बनी खाद से खेती कर रहे प्रगतिशील किसान दीपक चौधरी का कहना है कि गाय के गोबर और गोमूत्र से बनी खाद का इस्तेमाल करके जो खेती वह कर रहे हैं उसकी पैदावार तो कम है लेकिन उससे बने उत्पादों की कीमत रासायनिक खेती से बने उत्पादों से लगभग 2 गुना ज्यादा है। पैदावार भले ही कम हो लेकिन मुनाफा रासायनिक खेती कर रहे किसानो से ज्यादा है। किसान दीपक चौधरी का कहना है कि आज चाहे केंद्र सरकार हो या फिर प्रदेश सरकार हो रसायन मुक्त खेती पर जोर दे रही है। उन्हें खुशी है कि वह 2014 से रसायन मुक्त खेती कर लोगों को अच्छा स्वास्थ्य देने के साथ-साथ मुनाफा भी कमा रहे हैं। दीपक चौधरी का कहना है कि अपने उत्पादों को बेचने के लिए उन्हें ग्राहकों को ढूंढना नहीं पड़ता बल्कि ग्राहक स्वयं चलकर उनके पास उनके गांव पहुंचते हैं। दीपक चौधरी का कहना है कि उनके उत्पादों को खरीदने के लिए हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि से ग्राहक उनके पास आते हैं।