Noida: मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है: पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी

इस समय जीडीपी की नहीं जीईपी की जरूरत माउंटेन मैन

Update: 2024-11-08 05:03 GMT

नोएडा: पर्यावरणविद् पद्मश्री एवं पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है. साथ ही पश्चिमी देशों के लापरवाह दृष्टिकोण ने पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई को बौना और लंगड़ा कर दिया है. पर्यावरण संरक्षण की चिंता किसी के दिमाग में नहीं है और हम इसके लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं. अगर समय रहते नहीं चेते तो इसके भयावह दुष्परिणाम सामने होंगे. अभी जीडीपी की नहीं जीईपी की जरूरत है. वह तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में आयोजित लीडरशिप टॉक सीरीज को संबोधित कर रहे थे.

आगे कहा कि हमें चंद्रमा और मंगल ग्रहों को जानने की जिज्ञासा तो है, लेकिन हम धरती को पूरी तरह से नहीं समझना चाहते हैं. हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की देन का श्रेय हिमालय को है. हमारे पास प्राकृतिक जंगल सिर्फ 14 प्रतिशत ही बचे हैं. सरकारी दावे 23 प्रतिशत के हैं, जो खोखले हैं. साथ ही दुनिया में मात्र 31 प्रतिशत पेड़ बचे हैं, यह गहन चिंता का विषय है. भारत का आंकड़ा और चौंकाने वाला है. देश में प्रति व्यक्ति पर प्रति पेड़ का औसत भी नहीं है. यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार भयावह पर्यावरण प्रदूषण और दूषित भोजन के चलते मानव ब्लड में माइक्रोप्लास्टिक का प्रवेश हो चुका है. देहरादून ग्रॉस इन्वायरमेंटल प्रोडक्ट (जीईपी) देने वाला विश्व का पहला शहर है. जीईपी देने वाला उत्तराखंड पहला राज्य भी बना. जीईपी में जंगल की क्वालिटी, पानी का संरक्षण, वायु की गुणवत्ता और मिट्टी जैविकीकरण को बढ़ाना शामिल है. इससे पहले डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन, एग्रीकल्चर के डीन प्रो. प्रवीन जैन, सीसीएसआईटी के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी, सीटीएलडी के डायरेक्टर डॉ. पंकज कुमार सिंह आदि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर लीडरशिप टॉक सीरीज का शुभारंभ किया. मुख्य अतिथि को बुके व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया. लीडरशिप टॉक सीरीज में वीसी प्रो. वीके जैन ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग से यूं तो परिचित हूं. आज बोलने नहीं, बल्कि डॉ. जोशी के विचारों को सुनने आया हूं. लीडरशिप टॉक में एग्रीकल्चर स्टूडेंट्स के संग सवाल-जवाब का दौर भी चला. छात्र मुकुंद सिंह, लोचन व्यास, उज्ज्वल श्रीवास्तव, अंकिता यादव ने सवाल पूछे. इस पर डॉ. जोशी ने कहा कि हमारी धमनियों में खून की मानिंद हैं गंगा. ऐसे में हम सबके संगठित होने पर ही मां गंगा को बचाया जा सकता है. इस मौके पर प्रो. प्रवीन जैन, प्रो. अमित कंसल, डॉ. बलराज सिंह, डॉ. वरुण सिंह, डॉ. गणेश दत्त भट्ट, डॉ. महेश सिंह, डॉ. सुनील सिंह, डॉ. आशुतोष अवस्थी, डॉ. साकुली सक्सेना, डॉ. जूरी दास, डॉ. चारू रहे.

समुद्र का 40 प्रतिशत हिस्सा हो चुका है खराब: डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि गर्मी ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं. मानसून का कुछ पता ही नहीं. समुद्र का तापमान 0.4 प्रतिशत बढ़ गया है. एक मिलियन समुद्री जीव खत्म हो गए. साथ ही आज भी पांच ट्रिलियन प्लास्टिक तैर रहा है. इस कारण समुद्र का 40 प्रतिशत हिस्सा खराब हो चुका है.

यूपी बन सकता है जीईपी देने वाला दूसरा राज्य: जीईपी देने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. अब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कई स्तरों पर बातचीत हुई है. जंगल, नदी व पानी को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गंभीर हैं, इस पर बातचीत जारी है. हम अन्य राज्यों के भी संपर्क में हैं. जीईपी ये बताएगा कि हमने जंगल, पानी व हवा के लिए क्या किया.

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