Noida: साइबर अपराधियों ने विदेशी कंपनी की ई-मेल आईडी हैक कर डेढ़ करोड़ रुपये हड़पे

पुलिस ने मामले की जांच शुरू की

Update: 2025-01-04 06:41 GMT

नोएडा: साइबर अपराधियों ने ब्रिटेन की कंपनी की ई-मेल आईडी हैक कर जर्मनी की कंपनी से एक करोड़ 55 लाख रुपये की ठगी कर ली. रकम ट्रांसफर होने के एक महीने बाद जब संबंधित कंपनी को ठगी की जानकारी हुई तो मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से की. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

जर्मनी की बारटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि संतोष कुमार झा द्वारा शिकायत में बताया गया कि सेक्टर-62 में उनकी कंपनी की शाखा है. उनकी कंपनी देश और विदेश में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उत्पादों का कारोबार लंबे समय से कर रही है. भारत में भी इसकी शाखाएं हैं. यहीं से कई देशों में उत्पाद का आयात और निर्यात किया जाता है. इस कंपनी का ब्रिटेन की कंपनी मैसर्स पीएससी वोडेक लिमिटेड के साथ खरीद बिक्री का काम है. कुछ समय पहले नोएडा स्थित कंपनी की तरफ से मेसर्स पीएससी वोडेक लिमिटेड से दूरसंचार उत्पाद खरीदे गए.

इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच ई-मेल आईडी से बातचीत हुई. माल भेजने के 30 दिन के भीतर यूके की कंपनी को भुगतान करने की समय सीमा निर्धारित की गई थी. नोएडा स्थित कंपनी के प्रतिनिधियों ने तय समय सीमा के भीतर रकम ट्रांसफर करने को कहा. उनकी ओर से ई-मेल के माध्यम से बताया गया कि बार्कलेज बैंक के खातों में रकम ट्रांसफर की जाएगी. इसी दौरान साइबर ठगों ने ब्रिटेन की कंपनी की ई-मेल आईडी हैक कर ली और नए बैंक का विवरण दे दिया. ई-मेल में ही बताया गया कि कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण रकम ट्रांसफर करने के लिए नए बैंक का विवरण दिया जा रहा है.

इस ई-मेल में भी विषय, ई-मेल बॉडी, इसकी संरचना, सभी नाम वैसे ही थे, जैसे पहले वाले ई-मेल में थे. इसके बाद झांसे में आकर नोएडा स्थित कंपनी की तरफ से एक करोड़ 55 लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए गए. 12 को जब यूके की कंपनी की तरफ से रकम भेजने का रिमाइंडर आया तब दोनों कंपनियों के बीच फोन पर संपर्क हुआ. इसमें बाद पता चला कि यूके की कंपनी की ई-मेल आईडी में जालसाजों ने सेंध लगाई और रकम अपने खातों में ट्रांसफर करा ली. जिन विदेशों बैंकों के खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है, पुलिस उन बैंकों से पत्राचार कर जानकारी जुटाने का दावा कर रही है.

कंपनी की ओर से मामले की शिकायत सबसे पहले गृह मंत्रालय के पोर्टल पर की गई थी. वहां से मामला साइबर क्राइम थाने आया. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय साइबर टीम लगाई गई है.

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