नगर निगम ने शहर के पार्कों को छोड़ दिया बेसहारा

लोगों के टहलने पर भी आफत

Update: 2024-02-20 06:32 GMT

बस्ती: शहर के पार्कों की जमीनी स्तर की हकीकत कुछ और है.अफसरों की कार्यशैली ठीक नहीं है. जनप्रतिनिधियों ने भी बदहाल पार्कों को देखने की जहमत तक नहीं की और न सुधारने के लिए कदम बढ़ाए. पार्कों में घूमने कैसे जाए जब ट्रैक ही नहीं बचे हैं. अधिकारी इन पार्कों की देखभाल करना भूल जाते हैं. 229 में से189 पार्कों में ट्रैक नहीं बचे.

शहरी सीमा में आने वाले पार्कों की देखभाल का जिम्मा नगर निगम को करना होता है. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पार्कों के सौन्दर्यीकरण कराने के लिए प्रस्ताव मांगे जाते है. नगर निगम भी प्रस्ताव भेजकर शासन से मिलने वाली धनराशि के लिए एस्टीमेट बनाया जाता है. पौधे लगाए गए, रंगरोगन के लिए बजट खर्च किया. लेकिन इनकी देखरेख सिर्फ कागजों में रही. कई जगह मॉर्निंग ट्रैक अस्तित्व में नहीं हैं. शासन से मिला लक्ष्य एक या दो दिन में कागजों में पूरा करने के बाद अधिकारी उनकी रखरखाव की जिम्मेदारी भूल जाते हैं. इसी लापरवाही की वजह से पार्को में घूमने लायक ट्रैक नजर नहीं आते हैं. राजेंद्र नगर, इंदिरा नगर, जनकपुरी में 0 पार्क हैं. इनमें 92 पार्कों में मॉर्निंग ट्रैक नहीं हैं. लोग मॉर्निंग, इवर्निंग वॉक करने के लिए सड़कों पर दौड़ते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ पार्कों में ट्रैक थे लेकिन अब बदहाल हो चुके हैं. इस तरह के बाकी पार्कों की हालत भी ऐसे ही है. सिविल लाइंस के कई पार्कों में ट्रैक नहीं है.

ईश्वर पर विश्वास रखने वाला हमेशा सुखी रहता है’

ईश्वर पर सभी को विश्वास दृढ़ करने के लिए नियम से सत्संग , सेवा व सिमरन करना चाहिए एक ईश्वर का विश्वास रखते हुए अपने जीवन को व्यतीत करने वाला मनुष्य सुखी रहता है. उक्त बातें त्रिवटी नाथ मंदिर प्रांगण में हो रहे समता योग आश्रम के 66वें वार्षिक समता सत्संग सम्मेलन के मुख्य दिन पर हल्द्वानी से आये प्रेमी विकास सचदेवा ने कही. उन्होंने ईश्वर विश्वास के विषय पर बहुत मार्मिक विचार रखा. सत्संग सुनने के लिए दूर दूर से संगत पहुंची.

सत्संग का दूसरा विचार बरेली के मनोज मिश्रा ने ह्लप्रभु दर्शन कैसे होंगे ह्ल विषय पर विचार दिया. बताया की श्री राम और वाल्मीकि संवाद के आधार पर तथा सदगुरुदेव महात्मा मंगत राम जी महाराज के आत्मिक उन्नति के साधन सादगी, सत्य, सेवा, सत्संग और सत सिमरन के आधार पर प्रभु दर्शन हो जाएंगे. सत्संग में अंतिम व मुख्य विचार शिवनाथ अग्रवाल ने ‘मानव जन्म और पुनर्जन्म’ विषय पर विचार दिया.

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