Muzaffarnagar: मकान, प्लाट या दुकान के लिए PNB मैनेजर से करे संपर्क
बैंक सम्पत्ति खरीदने के लिए खुद लोन दे देगा या किसी फाइनेंस कंपनी से दिला देगा
मुजफ्फरनगर: यदि आपको मुजफ्फरनगर में आधी कीमत पर मकान, प्लॉट या दुकान चाहिए, तो तत्काल पंजाब नेशनल बैंक के चीफ मैनेजर जसविंदर सिंह से संपर्क करें। ऐसा लगता है कि जैसे मानो, उन्होंने कोई सेल लगा रखी है, जहां आधी कीमत पर प्रॉपर्टी कथित रूप से नीलाम करके बेची जा रही है। इसमें भी अगर आपके पास पैसे नहीं है तो भी कोई चिंता नहीं, बैंक सम्पत्ति खरीदने के लिए खुद लोन दे देगा या किसी फाइनेंस कंपनी से दिला देगा।
हाल ही में कई ऐसे मामले खुलकर सामने आए हैं, जहां पंजाब नेशनल बैंक के एक चीफ मैनेजर जसविंदर सिंह द्वारा बैंक के खराब खातों के खातेदारों की बंधक संपत्ति को नीलाम किया गया है। आप कहेंगे कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि बैंक NPA खातेदारों की संपत्ति को नोटिस देकर और अखबार में छपवा कर नीलाम करता रहता है।
लेकिन हम ऐसे मामलों का जिक्र कर रहे हैं जिनमे नीलामी की प्रक्रिया महज एक ढोंग लगती है और कब्जा लेने से पहले
मुजफ्फरनगर में नागरिकों द्वारा लाठी लेकर गश्त पर एक्शन, कोतवाल बबलू सिंह वर्मा पर गिरी गाज
ही बैंक नीलामी जिसके नाम छूटनी होती है, उस व्यक्ति से प्रॉपर्टी का लेनदेन तय कर लेता है, जो बाजार भाव से आधे से भी कम होता है और जो आधा मुनाफा होता है, उसका बंटवारा हो जाता है।
ताजा मामला नई मंडी क्षेत्र की गांधी कॉलोनी का है, यहां एक फर्म थी रोहिणी इंडस्ट्रीज, जिस पर 40 लाख रुपए का PNB का कर्ज था। खातेदार विदित त्यागी, कोविड और अन्य बीमारी के कारण कर्ज नहीं चुका पाया, तो बैंक ने उसकी संपत्ति कुर्क करके कब्जे में ले ली और नीलाम कर दी।
पहली नजर में यह एक सामान्य बैंक प्रक्रिया है, लेकिन गौर से इस फोटो को देखिए और फोटो पर छपी तारीख को पढ़िए। इस फोटो में खड़े व्यक्ति का नाम है कपिल कुमार मलिक, जो नोएडा के निवासी है और जिन्हें बैंक ने यह संपत्ति नीलामी में दी है। यह 23 अगस्त का फोटो है जिस दिन बैंक ने इस सम्पत्ति पर कब्ज़ा लिया था और कपिल मलिक का फोटो इस सम्पत्ति पर मालिक की हैसियत से खिंचवा दिया था।
अब पूरी कहानी समझिए, 23 अगस्त 2022 को पंजाब नेशनल बैंक ने इस संपत्ति पर कब्जा किया, 4 सितंबर को अख़बार में नीलामी की सूचना छापी और 14 अक्टूबर 2022 को नीलाम कर दी और 19 अक्टूबर 2022 को खरीदार कपिल कुमार मलिक को इस पर बैनामा कर दिया। यह फोटो बैनामे में ही लगाया गया है। फोटो में साफ-साफ दिख रहा है कि कपिल कुमार मलिक 23 अगस्त को ही इस प्रॉपर्टी पर कब्जा ले लेते हैं।
इसमें मजे की बात यह है कि 23 अगस्त को जब बैंक ने कब्जा लिया था, उसी समय बैंक ने कपिल मलिक को इस प्रॉपर्टी पर कब्जा दे दिया था, यानि कि 14 अक्टूबर को नीलामी और 19 अक्टूबर को बैनामा महज कागजी खानापूर्ति थी और कब्ज़ा लेते ही बैंक ने सीधे-सीधे कपिल कुमार मलिक को ही कब्जा दे दिया था। इस प्रॉपर्टी के मालिक विदित त्यागी बताते हैं कि जैसे ही कब्जा हुआ उन्होंने बैंक से संपर्क किया लेकिन बैंक ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की।
दरअसल मामला ये है कि, पीएनबी में एक चीफ मैनेजर थे जसविंदर सिंह पुत्र मलकीत सिंह, उन्होंने मुजफ्फरनगर में एक ऐसा गैंग बना रखा था ,जिसके साथ मिलकर उन्होंने दर्जनों ऐसी प्रॉपर्टी नीलाम की है जिसके खातेदार किन्हीं कारण से लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं।
भोपा रोड पर प्रसिद्ध राम समोसे वालों की संपत्ति का विवरण हमने पिछली खबर में दिया ही था, जिसमे बैंक ने उनकी सम्पत्ति नीरज गोयल को नीलाम में दी थी। उसमे भी नीलामी से पहले ही बैंक मैनेजर ने नीरज गोयल के नाम एक अग्रीमेंट करके उसे एसआईवी फाइनेंस कंपनी से राम समोसे वालों वालों के मकान पर ही, लोन भी दिलवा दिया था जिसकी जांच नयी मंडी की सीओ रुपाली राव कर रही है। देखें खबर –
मुज़फ्फरनगर में PNB का कारनामा, नीलामी से पहले ही माफियाओं को बेच दी ‘राम समोसे’ वालों की सम्पत्ति !
अब यह नया मामला सामने आया है और ऐसे ही दर्जनों मामले और हैं। दरअसल बैंक और यह कथित खरीदार मिलकर नीलामी में संपत्ति को औने पौने दाम में खरीद लेते हैं, जिसमें कथित रूप से मैनेजर, बैंक के अन्य कर्मी और खातेदार मिलकर बंटवारा कर लेते हैं और बैंक की नीलामी के मामलों में प्रशासन का रुख भी बैंक की तरफ रहता है, ऐसे में प्रशासन से सम्पत्ति पर कब्जे के आदेश करा लेते है और पुलिस से मिलकर सम्पत्ति पर कब्ज़ा कर लेते है।
लखनऊ में IAS अफसर से मांगी 5 करोड़ की रंगदारी, दूसरे IAS से हुई लूट,अखिलेश यादव ने कसा तंज
इस प्रकरण में सवाल है कि कपिल कुमार मलिक अकेले ही नीलामी में शामिल होते हैं, 4 सितम्बर को नीलामी की सूचना अख़बार में छपती है , 14 अक्टूबर को नीलामी होती है, उसमे कपिल, अकेले ही नीलामी लगाने वाले होते है और ये सम्पत्ति खरीद लेते है लेकिन उन्हें 23 अगस्त को ही पता था कि यह संपत्ति नीलामी में, उन्हीं को ही छोड़ी जाएगी, इसलिए उनको उसी दिन कब्जा दे दिया गया था।
पर गलती इसमें ये हो गयी कि 19 अक्टूबर को जब वे इस सम्पत्ति का बैनामा बैंक से अपने नाम कराते है तो फोटो 23 अगस्त को खींचा हुआ ही लगा देते है जबकि 23 अगस्त को सम्पत्ति विजित त्यागी की थी और PNB ने उस पर कब्ज़ा किया था। कपिल मलिक या किसी को भी 4 सितंबर में अख़बार में नीलामी सूचना छपने से पहले पता ही नहीं था कि यह सम्पत्ति नीलाम होने वाली है। कपिल मलिक तो इस सम्पत्ति में 14 अक्टूबर को नीलामी के बाद ही सामने आये थे, फिर 23 अगस्त को कपिल मलिक का उस संपत्ति के मालिक की हैसियत से फोटो कैसे खिंच सकता है ?
मुजफ्फरनगर की भरतिया कॉलोनी में भी पिछले दिनों कथित रूप से एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा हिंदू आबादी में संपत्ति खरीदने का जो मामला आया था, उसमें भी बताया जाता है कि खरीदार मुस्लिम व्यक्ति बैंकों से इसी तरह सस्ती दरों में संपत्तियों खरीदते हैं और फिर बाद में महंगी दरों पर बेचते हैं। बताया जाता है कि शहर में इस तरह का एक सुनियोजित रैकेट चल रहा है जो इसी धंधे के जरिये लोगों की ज़मीन औने पौने दाम में कब्ज़ा रहा है।
रॉयल बुलेटिन जनहित में जिलाधिकारी उमेश चंद्र मिश्रा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह समेत पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा करता है कि ऐसे सभी मामलों की गहनता से जांच कराये और यदि इन नीलामियों में इस तरह के षड्यंत्र है, ऐसे अफसरों और माफियाओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करें, जिससे कोई भी बैंक और माफिया मिलकर आम आदमी की संपत्ति पर कानून के बहाने से अवैध कब्जे न कर सके।