निकाय चुनाव: नगर निकायों में वार्डों के आरक्षण की सूची ने बढ़ाई उम्मीदवारों में हलचल
मुरादाबाद: नगर निकायों में वार्डों के आरक्षण की अनंतिम सूची ने हलचल बढ़ा दी है। अब महापौर पद के आरक्षण सूची जाने होने का इंतजार है। क्योंकि इससे कई दिग्गजों के अरमान जुड़े हैं। सत्ताधारी दल में तो आरक्षण को लेकर ही दांवपेंच चल रहा है। सीट का आरक्षण जीत का कितना आधार बनेगी इसको लेकर यहां पेच है। नगर निगम के 70 में से 30 वार्ड अनारक्षित। इस बार अनंतिम सूची में 15 महिलाओं को भी अपनी राजनीतिक भागीदारी दिखाने का अवसर मिला है। कई वरिष्ठ पार्षदों ने सूची में अपने वार्ड का गणित अपने मनमाफिक न देखकर सात दिन की आपत्ति सीमा के चलते खुद की बजाय दूसरे से इस पर आवाज उठवा रहे हैं।
सूची में अपने मनमाफिक आरक्षण देखकर कई दावेदारों को अचानक मोहल्ले में पड़ोस के चाचा, भैया, दादा-दादी की याद आ गई है। वह उनके सामने नतमस्तक होकर आर्शीवाद मांगने लगे हैं। मेल मिलाप का सिलसिला तेज हो गया है। अपने पूर्वजों का हवाला देकर निकाय चुनाव में मदद की अपील कर रहे हैं। पुराने संबंधों की भी दलील संभावित उम्मीदवारों द्वारा दी जा रही है।
संभावित महिला प्रत्याशी भी अपने घर की दहलीज से निकल कर दूसरों के किचेन तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर हमदर्दी जताने में जुट गई हैं। कई दिग्गज ऐसे भी हैं जो खुद के अरमान पर पानी फिरते देख अपने परिवार की महिला या फिर अपने खास को सिपहसलार बनाने के लिए बिसात बिछा रहे हैं।
कई बार से सामान्य है महापौर की सीट: मुरादाबाद नगर निगम के महापौर की सीट पिछले तीन बार से सामान्य है। जिससे एक परिवार का वर्चस्व बना है। लेकिन भाजपा के अंदरखाने में इस बार दूसरे गुट के लोग आरक्षण के तलवार से ही वर्तमान महापौर को चित करने में जोर आजमाइश कर रहे हैं। लखनऊ से लेकर दिल्ली दरबार तक पद पर अपनी गोटी फिट करने या फिर ऐसा न होने पर आरक्षण का वर्तमान स्वरुप बदलाने में जुटे हैं। वहीं वर्तमान महापौर विनोद अग्रवाल अपने आश्वास्त चेहरे दिखाकर विरोधी दलों के साथ अपनी ही पार्टी के कई चाणक्यों को गच्चा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के आने से पहले शुक्रवार को प्रबुद्ध सम्मेलन में भी प्रबुद्धों का अभिवादन मंच के एकदम आगे आकर निश्चिंत भाव से कर रहे थे। इसको लेकर चर्चाएं भी रहीं।