गोरखपुर न्यूज़: एम्स में प्राकृतिक चिकित्सा शुरू करने की कवायद तेज हो गई है. इसको लेकर एम्स और उत्तर भारत के सबसे बड़े प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र आरोग्य मंदिर के बीच वार्ता हो रही है. दोनों पक्ष इसी हफ्ते एमओयू पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. दोनों संस्थानों के बीच एमओयू के बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है. इस एमओयू की अंतिम ड्रॉफ्टिंग चल रही है. यह जानकारी आरोग्य मंदिर के निदेशक डॉ. विमल मोदी ने दी है.
उन्होंने बताया कि इस मसले पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर से दो चक्रों की वार्ता हुई है. उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके, उसमें लगने वाले संसाधन, उसका दूरगामी परिणाम को संक्षिप्त में बताया गया है. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा से कई जटिल व असाध्य बीमारियों का इलाज हो सकता है. खास बात यह है कि इस इलाज में दवाओं की जरूरत बेहद कम होती है.
प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने वाला देश का होगा पहला एम्स एम्स गोरखपुर प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने वाला देश का पहला एम्स हो जाएगा. देश के आठ एम्स में आयुष विधा से इलाज होता है. गोरखपुर एम्स में आयुष के सभी विधाओं के विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद है. यहां आयुर्वेद व होम्यापैथ के अलावा यूनानी, सिद्धा और तिब्बी पद्धति से भी इलाज होता है. आरोग्य मंदिर से जुड़ने के बाद एम्स इसमें एक कदम और आगे बढ़ जाएगा. यहां पर प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज शुरू होगा
तकनीकी दक्षता मुहैया कराएगा आरोग्य मंदिर
डॉ. विमल मोदी ने बताया कि तक एमओयू पर हस्ताक्षर को लेकर तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी. आरोग्य मंदिर प्रबंधन एम्स को तकनीकी दक्षता के साथ संसाधन भी मुहैया कराएगा.