यूपी बोर्ड में 90 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे हिंदी पढ़ते हैं, विद्यार्थियों को विदेशी भाषा पसंद आ रही
नोएडा न्यूज़: हिंदी हमारी मातृभाषा है, जन्म से ही हमें इसका ज्ञान मिलना शुरू हो जाता है, लेकिन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा केंद्र (सीबीएसई) के परीक्षार्थियों को हिंदी पसंद नहीं आ रही है. विद्यार्थी हिंदी के बजाय फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन समेत अन्य भाषा को महत्व दे रहे हैं.12वीं में कुल परीक्षार्थियों के सापेक्ष मात्र 40 फीसदी विद्यार्थियों ने ही हिंदी विषय को चुना और परीक्षा दी. इसके कारण नतीजा काफी विद्यार्थियों का अंक प्रतिशत नीचे गिरा है.
जिले में सीबीएसई बोर्ड के 217 स्कूल हैं. इस वर्ष इन स्कूलों से करीब 42,238 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी. इनमें 12वीं के 18,225 परीक्षार्थी शामिल हुए. आंकड़ों पर गौर करें तो 12वीं कक्षा मंफ सिर्फ 7,409 विद्यार्थियों ने ही हिंदी विषय को चुनकर परीक्षा दी.
शेष विद्यार्थियों ने हिंदी के स्थान पर कंप्यूटर, अर्थशास्त्रत्त्, जर्मन, फ्रेंच समेत अन्य भाषा को महत्व दिया. सत्र 2022-23 में सीबीएसई 10वीं में 24,013 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें करीब 1907 विद्यार्थियों ने हिंदी को नहीं लिया, जबकि पहले शत प्रतिशत विद्यार्थियों का हिंदी की ओर रुझान था.
शिक्षक बताते है कि विद्यार्थियों में विदेश जाने की चाहत ज्यादा बढ़ गई हैं. एनसीआर में ऐसे विद्यार्थी ज्यादा है, जो 12वीं के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं. ज्यादातर चीन, जर्मनी, फ्रांस व अमेरिका के अलावा यूरोपियन देशों में पढ़ाई के जाते हैं.
युवाओं में विदेश जाकर नौकरी करने का भी क्रेज बढ़ रहा हैं, ऐसे में वह हिंदी के बजाय अन्य भाषा को ज्यादा महत्व दे रहे हैं.
संस्कृत से भी बना रहे दूरी अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी हिंदी के अलावा संस्कृत से भी दूरी बना रहे हैं, जबकि यह दोनों भाषाएं प्राचीन हैं. देश के प्रत्येक विद्यार्थियों को इन दोनों भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए. खास बात यह है कि जिले में हिंदी लेने वालों की संख्या तो फिर भी हजारों में हैं, लेकिन संस्कृत लेने वाले गिने चुने ही विद्यार्थी है.
इन दोनों भाषा से दूरी के कारण विद्यार्थी प्राचीन सभ्यता से रूबरू नहीं हो पा रहे हैं.