Pilibhith: टाइगर रिजर्व से बाहर बाघ और तेंदुआ घूमने की आशंका

Update: 2025-01-15 09:27 GMT
Pilibhith पीलीभीत : टाइगर रिजर्व से बाहर बाघ और तेंदुआ घूम रहे हैं। ऐसे में आपात स्थिति के दौरान स्थिति बिगड़ने की आशंका बनी हुई है। दरअसल पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्साधिकारी/ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट जनपद से बाहर है। बताते हैं कि उनकी ड्यूटी लखनऊ के रहमानगंज में बाघ पकड़ने को लगा दी गई है। ऐसे में यदि जनपद में कोई वन्यजीवों के चलते यदि कोई आपात स्थिति पैदा होती है तो वन महकमे के लिए खासी मुसीबत को
सबब बन सकती है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में को संरक्षित वन क्षेत्र का दर्जा मिलने के बाद यहां बाघ समेत अन्य वन्यजीवों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्तमान में यहां 71 बाघ है, जबकि जानकारों के मुताबिक बाघों की संख्या कहीं अधिक है। बाघ समेत वन्यजीवों की बढ़ती आबादी के चलते और जंगल क्षेत्र का दायरा कम पड़ने की वजह से वन्यजीवों का जंगल से बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो गया, जो आज भी लगातार बदस्तूर जारी है। जनपद में इन दिनों गन्ने कटाई का सीजन भी चल रहा है। जंगल से बाहर निकले बाघ और तेंदुआ में अधिकांश ने इन्हीं गन्ना फसलों में शरण ले रखी है।
ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटना की आशंका भी लगातार बनी हुई है। हालांकि वन महकमे की ओर से जंगल से बाहर घूम रहे बाघों और तेंदुआ की निगरानी कर उनके मूवमेंट पर कड़ी नजर रखे हुए हैं, मगर इन सबके बावजूद यहां आपात स्थिति के दौरान हालात बिगड़ चुके हैं। वजह यह है कि पीलीभीत टाइगर रिजर्व में एक मात्र पशु चिकित्साधिकारी एवं ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट डॉ. दक्ष गंगवार की तैनाती है।
बताते हैं कि एक मात्र ट्रेंकुलाइज एक्सपर्ट की बीते 25 दिसंबर से लखनऊ के रहमानगंज में घूम रहे बाघ को पकड़ने के लिए लगाई गई। ऐसी स्थिति में यदि जनपद के अंदर यदि कोई जंगल से बाहर निकला वन्यजीव हिंसक होता है तो उसे संभालने के लिए टाइगर रिजर्व प्रशासन को खासी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। यह हालात तब है, जबकि पीलीभीत टाइगर रिजर्व से बाहर चार से अधिक बाघ और एक तेंदुआ लंबे अरसे से आबादी क्षेत्रों के आसपास दस्तक दे रहे हैं।
बाघ-तेंदुए की पकड़ने की मांगी जा चुकी है अनुमति
वन महकमे के मुताबिक वर्तमान में करीब चार से पांच बाघ जंगल से बाहर वनसीमा से सटे इलाकों में लगातार चहलकदमी कर रहे हैं। इसमें एक बाघ तो पिछले साल भर से आबादी क्षेत्रों में लगातार छुट्टा मवेशियों को निशाना बना रहा है। बाघ की मौजूदगी से जंगल सीमा से सटे गांवों में खासी दहशत फैली हुई है। वहीं अमरिया क्षेत्र के धनकुनी समेत करीब आधा दर्जन गांवों में एक तेंदुआ पिछले करीब छह माह से दस्तक दे रहा है। पिछले दिनों तेंदुआ द्वारा एक पालतू पशु पर हमला किए जाने के बाद से दहशत और भी बढ़ गई है। जंगल से बाहर घूम रहे एक बाघ और अमरिया क्षेत्र में घूम रहे तेंदुआ को पकड़ने के लिए सामाजिक वानिकी प्रभाग द्वारा कुछ दिन पूर्व शासन से अनुमति भी मांगी जा चुकी है।
उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार पशु चिकित्सक की ड्यूटी लखनऊ क्षेत्र में लगाई गई है। वन क्षेत्र से बाहर घूम रहे वन्यजीवों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। गन्ना कटाई का सीजन चल रहा है। ऐसे में संवेदनशील गांवों में मानव-वन्यजीव सह अस्तित्व अभियान के तहत ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर रोकथाम लगाई जा सके
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