यूपी के अमेठी में मुसाफिरखाना और थौरी मार्ग पर बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पहुंचकर श्रमदान करना गौरीगंज विधायक को भारी पड़ गया. पुलिस ने उपनिरीक्षक की तहरीर पर विधायक समेत चार नामजद व 100 अज्ञात के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है. पुलिस ने मामला दर्ज की विवेचना शुरू कर दी है.
जानकारी के मुताबिक गौरीगंज विधानसभा की दो सड़कों की मरम्मत को लेकर गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह तीन वर्ष से संघर्षरत थे. दोनों सड़कों की मरम्मत नहीं कराए जाने पर विधायक ने 31 अक्तूबर को पद से त्यागपत्र देते हुए लखनऊ के जीपीओ पर धरना भी दिया और आमरण अनशन बैठे. सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं होने पर उन्होंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के आह्वान पर अनशन समाप्त कर दिया था. तीन दिन पहले 11 नवंबर को विधायक हजारों की संख्या में अपने समर्थकों के साथ जेसीबी मशीन, गिट्टी लेकर मुसाफिरखाना-थौरी मार्ग पर पहुंचे और मरम्मत कार्य शुरू कर दिया. विधायक द्वारा सड़क मरम्मत की सूचना मिलते ही मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसबल को तैनात कर दिया गया और दोपहर दो बजे पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस लाइन ले गई. यहां से देर शाम उन्हें रिहा कर दिया गया.
अमेठी के मुसाफिरखाना कोतवाली में तैनात उप निरीक्षक संकठा प्रसाद मौर्य की तहरीर पर विधायक राकेश प्रताप सिंह, वार्ड संख्या एक के जिला पंचायत सदस्य धर्मेश, मुसाफिरखाना ब्लॉक प्रमुख पप्पू सिंह व कुंडा नेवादा किशुनगढ़ के ग्राम प्रधान राजेंद्र यादव समेत 100 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 332,353, 431, 153, 157 और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 2/3 के तहत केस दर्ज किया है. मुकदमा दर्ज होने के बाद विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का नहीं बल्कि उसे सुदृढ़ व संरक्षित करने का काम किया है. इस सड़क पर उपजे गड्ढों में गिरकर अपना हाथ-पैर तुड़वाने व जान गंवाने वालों को बचाने का काम किया है. श्रमदान करके अंधे बहरे शासन-प्रशासन को जगाने का काम किया है. यदि जनसेवा के इस पुनीत कार्य के लिए प्रशासन उन्हें जेल भेजना चाहता है तो वे इसके लिए तैयार हैं.