Meerut: नमूनों के परीक्षण में जमीन के अंदर ऑर्गेनिक कार्बन निम्न स्तर पर पहुंचा
मेरठ की मिट्टी से गायब हो रहा जीवांश कार्बन और फॉसफोरस
मेरठ: रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग और हरी खाद का प्रयोग नहीं करने से जनपद की मिट्टी बीमार होने लगी है. कृषि विभाग की क्षेत्रीय मृदा प्रयोगशाला द्वारा लिए गए नमूनों के परीक्षण में जमीन के अंदर ऑर्गेनिक कार्बन निम्न स्तर पर पहुंच गया है. इससे जहां जमीन की जल धारण क्षमता घट रही है वहीं शत-प्रतिशत पोषक तत्व भी फसल को नहीं मिल पा रहे हैं. इसके बावजूद जनपद में 1 लाख 80 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा रासायनिक खाद जमीन में डाला जा रहा है.
100 मृदा नमूनों में सब फेल: क्षेत्रीय मृदा प्रयोगशाला के वरिष्ठ मृदा विश्लेषक प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि प्रत्येक विकास खंड से 10 ग्राम पंचायतों का चयन करके प्रत्येक गांव से 100 मृदा नमूने भरकर जांच की थी. बताया गया कि इन सभी नमूनों में मिट्टी की सेहत खराब मिली. मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड में जीवांश कार्बन 0.38 प्रतिशत मिला जबकि ये 0.80 फीसदी से ज्यादा होना चाहिए. वहीं फॉसफोरस की मात्रा 17 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पाई गई जो प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम से ज्यादा होनी चाहिए. इसके अलावा मिट्टी से सूक्ष्म पोषक तत्वों में सल्फर एवं जिंक व आयरन की भी कमी पाई गई है.
अंधाधुंध हो रहा रासायनिक खाद का प्रयोग: जनपद के किसान फसल उत्पादन बढ़ाने की होड़ में रासायनिक खादों को अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं. इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे है. अब फसल उत्पादन बढ़ने की बजाय जहां प्रभावित होने लगा है वहीं अब कोई भी फसल बिना खाद के नहीं हो पा रही है. मेरठ जनपद में रासायनिक खाद के प्रयोग की बात करें तो पिछले साल 1 लाख 70 हजार मीट्कि टन की खपत हुई थी जो रकबे के हिसाब से बहुत ज्यादा है.
क्यों घट रहा है आर्गेनिक कार्बन: क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के सहायक निदेकश दीपक चौधरी ने बताया कि जमीन से लगातार घट रहे आर्गेनिक कार्बन का सबसे बड़ा कारण किसानों द्वारा फसल चक्र नहीं अपनाने और जमीन में गोबर की खाद नहीं डालने को माना जा रहा है. इसके साथ ही किसानों ने हरी खाद ढेंचा और सनई की बुआई भी बंद कर दी है. इस कमी को दूर करने के लिए किसानों की जमीन में नियमित गोबर की खाद डालनी होगी और खेत में ढेंचा और सनई की बुआई कर९८+करनी होगी.