Meerut: जिलाधिकारी एफआईआर दर्ज करने का आदेश नहीं दे सकता है: हाईकोर्ट

कोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी के खिलाफ पारित जिलाधिकारी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी

Update: 2024-06-13 06:18 GMT

मेरठ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डीएम बलरामपुर द्वारा गैदास बुजुर्ग थाने के तत्कालीन प्रभारी पर FIR दर्ज करने का आदेश दिए जाने के मामले में इस बात से प्रथम दृष्टया असहमति जताई है कि डीएम को एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने का अधिकार है. इसके साथ कोर्ट ने तत्कालीन थाना प्रभारी के खिलाफ पारित जिलाधिकारी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है.

यह आदेश Justice Abdul Moin की खंडपीठ ने पवन कन्नौजिया की सेवा सम्बंधी याचिका पर पारित किया है. याची ने डीएम बलरामपुर द्वारा 30 अप्रैल को उसके खिलाफ पारित आदेश को चुनौती दी है. इसमें जिलाधिकारी ने याची के खिलाफ एफआईआर लिखने, विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि करने और अन्य सेवा संबंधी प्रतिकूल आदेश दिए थे. आदेश को चुनौती देते हुए याची की ओर से दलील दी गई कि डीएम को इस प्रकार के आदेश पारित करने का क्षेत्राधिकार नहीं है, लिहाजा उक्त आदेश निरस्त किए जाने योग्य है. राज्य सरकार के अधिवक्ता ने यूपी पुलिस रेग्युलेशन्स के प्रावधानों का हवाला देते हुए दलील दी कि District Magistrate का आदेश रेग्युलेशन 484 और 486 के प्रावधानों के अनुरूप है.

न्यायालय ने इससे प्रथम दृष्टया असहमति जताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने नमन सिंह मामले में स्पष्ट किया है कि दंड प्रक्रिया संहिता में कार्यकारी मजिस्ट्रेट को ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है जिसके तहत वह प्राइवेट शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पुलिस को दे सके. न्यायालय ने कहा कि मामले में वि की आवश्यकता है, लिहाजा सरकार सप्ताह इस प्रकरण में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करे.

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