Lucknow: स्कूलों-कॉलेजों में 10 जनवरी तक चलाएं सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम: मुख्यमंत्री योगी

"स्कूलों-कॉलेजों में सड़क सुरक्षा नियमों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे"

Update: 2025-01-02 07:03 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नववर्ष के पहले दिन बुधवार को यूपी राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक की। उन्होंने सभी विभागों को सड़क सुरक्षा से संबंधित आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनपदीय सड़क सुरक्षा समिति जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 5 जनवरी तक हर हाल में बैठक संपन्न कर लें। छह से 10 जनवरी तक सभी स्कूलों-कॉलेजों में सड़क सुरक्षा नियमों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

सीएम योगी ने यह भी निर्देश दिए कि महाकुंभ में बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए पीआरडी और होमगार्डों की संख्या बढ़ाई जाए। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में हर वर्ष हो रही 23-25 हजार मौतें देश और राज्य की क्षति है। यह दुर्घटनाएं जागरूकता के अभाव में होती हैं। सड़क सुरक्षा माह सिर्फ लखनऊ तक सीमित न रहे, बल्कि इसे प्रदेश के सभी 75 जनपदों में सुचारू रूप से संपन्न कराया जाए। इसके अतिरिक्त भी हर माह जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा की बैठक हो, जिसमें पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, आरटीओ, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहें। जनपद स्तर पर हुए कार्यों की प्रोग्रेस को लेकर हर तीसरे महीने शासन स्तर पर मूल्यांकन किया जाए।

सीएम योगी ने आगे कहा कि उन जनपदों और स्थलों को चिह्नित करें, जहां अधिक दुर्घटनाएं संभावित हैं। इसके लिए कारणों का पता करते हुए समाधान की कार्ययोजना बनाई जाए। नाबालिग ई-रिक्शा और अन्य वाहनों का संचालन न कर पाएं, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई सुचारू रूप से की जाए। सड़कों पर अनिवार्य रूप से साइनेज लगाए जाएं, जिससे लोगों को आवागमन में भी सहूलियत हो सके। उन्होंने कहा कि ओवरलोडिंग कतई बर्दाश्त नहीं है। इसे स्टार्टिंग पॉइंट पर ही रोका जाए।

एक्सप्रेस और हाइवे पर लोडेड वाहन भी खड़े रहते हैं, जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। इन वाहनों को क्रेन के माध्यम से हटवाया जाए। हेलमेट, सीट बेल्ट तथा सड़क सुरक्षा के अन्य मानकों को अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी वाहन का बार-बार चालान होने पर लाइसेंस/परमिट निरस्तीकरण आदि की कार्रवाई की जानी चाहिए। इस कार्रवाई को अनिवार्य रूप से फास्टैग से जोड़ा जाए। सूचना, परिवहन व सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों की तरफ से अपील करने वाली होर्डिंग लगाई जाए।

इसे सभी 75 जनपदों, 350 तहसीलों, 1,500 थानों और सभी नगर निकायों के बाहर भी लगाया जाए। राहगीरों, आमजनों को जागरूक किया जाए कि दुर्घटना को देखकर भागें नहीं, बल्कि घायलों को गोल्डेन ऑवर के अंदर समीप के हॉस्पिटल या ट्रॉमा सेंटर में पहुंचाएं। एंबुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम करें। सीएम योगी ने कहा कि स्कूलों-कॉलेजों में रोड सेफ्टी क्लब की तर्ज पर प्रत्येक जनपद में रोड सेफ्टी पार्क बनाए जाएं। रोड सेफ्टी अवेयरनेस कार्यक्रमों से स्कूली बच्चों को जोड़ते हुए यातायात नियम से जुड़े विषयों पर नाटक, संगीत, कविता, निबंध, संगोष्ठी, भाषण, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं कराई जाएं।

परिवहन निगम की बसों के ड्राइवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए। बसों की फिटनेस का भी ध्यान रखा जाए। हर निकायों में वेंडिंग जोन बनाकर रेहड़ी-पटरी वालों को स्थापित किया जाए। सड़कों पर कहीं भी अवैध स्टैंड न लगे, उनके लिए स्पेस बनाया जाए। ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बाइकों में से मॉडिफाई साइलेंसर व हॉर्न को प्रतिबंधित किया जाए। अवैध रूप से बसों का संचालन दुर्घटना का कारण बनता है। गैर अनुबंधित बसों का पंजीकरण कर उन्हें निर्धारित रूट प्रदान किया जाए। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी, साथ ही आमजन को भी सुविधा मिलेगी।

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