लखनऊ: 31 साल पहले दिल्ली में हत्या कर कानपुर आकर छिपे हत्यारोपी को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने खोज डाला. आरोपित ने नई पहचान तक बना ली थी. क्राइम ब्रांच की टीम के सदस्य वेटर बने और कई दिनों की रेकी के बाद उसे धर दबोचा. आरोपित ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. क्राइम ब्रांच उसे दिल्ली ले गई.
डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित गोयल ने बताया कि 18 दिसंबर 1993 को नरेला क्षेत्र में शंभू दयाल की ईंट से कूचकर हत्या कर दी गई थी. मामले में प्रेम नारायण, उसके पिता मुन्नी लाल, चाचा दयाराम और पड़ोसी बाबू लाल नामजद किए गए थे. अरोपित शंभू दयाल की बेटी की शादी अपने गांव भिदोरा बांदा के राम प्रकाश से करवाना चाहते थे.
राम प्रकाश मुन्नी और दया का भतीजा था. प्रभु दयाल ने शादी से इनकार कर दिया तो चारों ने उसकी हत्या कर दी थी. 1994 में मुन्नी लाल, दया राम और प्रेम नारायण को दिल्ली की एक अदालत ने दोषी पाया था. बाबू की गिरफ्तारी हो गई थी.
नाम बदल बनवाई वोटर आईडी: क्राइम ब्रांच की शुरुआत से लगी थी. टीम को पता चला कि प्रेम नारायण कानपुर में मजदूरी करता है. सब इंस्पेक्टर रितेश कुमार टीम बीवी और बच्चों तक पहुंच गए. वेटर बनकर भी रेकी की. फिर प्रेम नारायण को धर दबोचा. उसने नाम बदल वोटर आईडी व राशन कार्ड भी बनवाया था. चाचा फरार है.
दिल्ली पुलिस ने सूचना नहीं दी थी. अगर आरोपित की लोकेशन पता चल जाती है तो पुलिस कई बार बिना बताए भी दूसरे राज्य में ऑपरेशन कर लेती है. हरीश चन्दर, एडीशनल सीपी, कानून व्यवस्था