अयोध्या-रामजन्मभूमि के संस्थापक ट्रस्टी केशव पारासरण पहुंचे अयोध्या, विराजमान रामलला का किया दर्शन-पूजन

सुप्रीम कोर्ट में विराजमान रामलला के वयोवृद्ध अधिवक्ता केशव पारासरण शुक्रवार की रात्रि अचानक अयोध्या पहुंचे।=

Update: 2022-08-28 03:48 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुप्रीम कोर्ट में विराजमान रामलला के वयोवृद्ध अधिवक्ता केशव पारासरण शुक्रवार की रात्रि अचानक अयोध्या पहुंचे। उन्हें सायं ही यहां पहुंचना था लेकिन फ्लाइट विलंबित होने कारण मध्यरात्रि में उनका आगमन हुआ। इसके कारण शनिवार को प्रात:काल उन्होंने रामजन्मभूमि पहुंचकर आराध्य को नमन किया और उनका पूजन कर आरती उतारी। पुश: उन्होंने निर्माणाधीन राम मंदिर का भी अवलोकन किया। इस दौरान वह भावविह्वल हो गये और उनके नेत्रों से अश्रु छलक पड़े। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय के संकल्प को भी सराहा।

ट्रस्ट महासचिव ने कार्यदायी संस्था एलएण्डटी व टीसीई के अधिकारियों के साथ बैठकर साइट प्लान और निर्माण की हर बारीक तकनीक उन्हें समझाई और भावी योजनाओं को भी उनके साथ साझा किया। इस मौके पर श्रीपारासरण ने कुछ अपने भी सुझाव दिए, जिस पर अमल का आश्वासन उन्हें दिया गया। यहां निकलकर वह अमावां राम मंदिर पहुंचे। यहां उनका स्वागत सायन कुणाल व उनके सहयोगियों ने किया। यहां उन्होंने प्रसाद ग्रहण करने के साथ कुछ देर विश्राम किया। पुन: पौने चार बजे दक्षिण भारतीय परम्परा के अम्माजी मंदिर में भी पहुंचकर दर्शन पूजन किया।
इस दौरान राम मंदिर के ट्रस्टी एम.ए. मधुसूदन्न व मैनेजर एल. रंगराजन ने अंगवस्त्रम भेंटकर किया। इसी कड़ी में सायं उन्होंने मां सरयू की आरती में हिस्सा लिया। यहां महंत शशिकांत दास ने सबका स्वागत किया। इस मौके पर रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव के अलावा ट्रस्टी डा. अनिल मिश्र एवं श्रीपारासरण के सहयोगी अधिवक्ता योगेश्वरन, रघुनाथ व भक्तिवर्द्धन सिंह एवं अन्य मौजूद रहे।
फैसले की प्रति रामलला को अर्पित करने 22 नवम्बर 2019 को आए थे
सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के अधिवक्ता के रुप में अपनी सेवाएं देने वाले वयोवृद्ध कानून विद श्रीपारासरण रामजन्मभूमि ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी बनने एवं राम मंदिर निर्माण शुरु होने के बाद पहली बार यहां उनका आगमन हुआ है। यद्यपि कि ट्रस्ट की पहली बैठक नई दिल्ली स्थित उन्हीं के आवास, जो कि ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय भी है, में वह भौतिक रुप से सम्मिलित हुए थे। इसके अलावा शेष बैठकों में उनकी उपस्थिति वर्चुअल ही थी। वह नौ नवम्बर 2019 को राम मंदिर का फैसला आने के बाद 22 नवम्बर 2019 को अयोध्या आए थे। उन्होंने सबसे पहले फैसले की प्रति अपने मुवक्किल व आराध्य रामलला को समर्पित की थी।
सुप्रीम कोर्ट में 170 घंटे खड़े रहकर नंगे पांव की बहस
इसके बाद रामचरित मानस भवन के अतिथि गृह में रामलला की ओर से अधिग्रहीत परिसर के तत्कालीन पदेन रिसीवर मंडलायुक्त मनोज मिश्र को फैसले की प्रति प्रदान की। 929 पेज का यह फैसला और रामजन्मभूमि की प्रामाणिकता प्रशस्त करते साक्ष्यों से युक्त 116 पेज का विशेष परिशिष्ट अधिवक्ताओं की उस मेहनत का परिणाम था, जिसे उन्होंने स्थानीय सिविल कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक जाकर लड़ा था। यह फैसला रामभक्तों के साथ स्वयं श्रीपारासरण के लिए कितना महत्वपूर्ण था, इसका प्रमाण मुकदमे के पैरोकार चंपत राय देते है।
वह बताते है कि सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन 170 घंटों तक चली नियमित सुनवाई के दौरान वयोवृद्ध अधिवक्ता श्रीपारासरण नंगे पैर खड़े रहकर बहस या जिरह करते अथवा अपनी बारी की प्रतीक्षा करते थे। उन्होंने बताया कि कोर्ट के जजमेंट की यह प्रतिलिपि ट्रस्ट ने तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा से प्राप्त की थी। इसके अलावा दो अन्य प्रमाणित प्रतिलिपि जिला प्रशासन के अर्काइव में सुरक्षित की गयी है।
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