कन्हैयालाल की वकालत के क्षेत्र में थी अलग पहचान: जस्टिस गोगोई

Update: 2023-08-29 08:43 GMT

इलाहाबाद: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि पं कन्हैयालाल मिश्र की वकालत के क्षेत्र में देश में एक अलग पहचान थी. वह ऐसे महान अधिवक्ता थे, जिनकी समाज के हर क्षेत्र के लोगों में पकड़ थी. कानून के क्षेत्र में उनके ज्ञान और वाकपटुता का लोग लोहा मानते थे. अयोध्या मंदिर निर्माण के पक्ष में अहम निर्णय देने वाले जस्टिस रंजन गोगोई पं कन्हैया लाल मिश्र मेमोरियल कमेटी की सर्किट हाउस में आयोजित बैठक में बोल रहे थे. जस्टिस गोगोई ने कहा कि पं. कन्हैया लाल मिश्र को वर्ष 1955 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में चुना गया लेकिन स्वीकार नहीं किया था. 17 वर्षों तक एडवोकेट जनरल रहे.

पं. कन्हैया लाल मिश्रा स्मारक समिति का गठन वर्ष 2003 में उनके शताब्दी वर्ष समारोह को मनाने के लिए पूर्व उच्चायुक्त यूके और पूर्व संसद सदस्य डॉ एलएम सिंघवी की अध्यक्षता में किया गया था. समिति के सचिव संतोष कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2004 के अप्रैल माह में समिति और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक समारोह का आयोजन किया था, जिसमें भारत के पांच पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के अलावा भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीएन खरे, जाने माने विधिवेत्ता सोली सोराबजी ने भाग लिया था.वर्ष 2007 में डॉ एलएम सिंघवी का निधन हो गया. उसके बाद भारत के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति आरसी लाहोटी समिति की अध्यक्ष रहे.

बैठक में प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्र, अध्यक्ष राज्य मानवाधिकार आयोग न्यायमूर्ति बीके नारायण, समिति के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल के अलावा न्यायमूर्ति बीके बिड़ला, न्यायमूर्ति सुनीत कुमार, न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर नारायण, न्यायमूर्ति राजीव लोचन महरोत्रा, हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, सीनियर एडवोकेट एनसी राजवंशी, उदय करन सक्सेना, आईके चतुर्वेदी, सीपी उपाध्यक्ष, अनिल बाबू शुक्ल,अनुराग खन्ना, आरपी तिवारी, जेबी सिंह, मनोज निगम, अनुराग त्रिपाठी, सुबोध त्रिपाठी, आचार्य श्रीकांत शास्त्रत्त्ी, शशांक मिश्र, शशांक त्रिपाठी उपस्थित रहे.

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