नौचंदी परिसर में हो रहे अवैध कब्जे, लेकिन मेले की सफलता को कोई ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं
मेरठ: ऐतिहासिक मेला नौचंदी जिसे इस बार प्रांतीय मेला घोषित किया गया है। इस मेले की सफलता एवं नगर निगम के अधिकारियों की विफलता को लेकर निगम के निवर्तमान पार्षद एवं अन्य लोगों ने तमाम आरोप प्रत्यारोप लगाये हैं। कि यदि मेले के शुभारंभ से पूर्व तमाम बिंदुओं पर संज्ञान नहीं लिया गया तो भविष्य में नौचंदी मेले के सफल आयोजनों पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं और करीब तीन शताब्दियों से चले आ रहे इस ऐतिहासिक मेले का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। जिसे समय रहते बचाया जाना बेहद जरूरी हैं। यह मेला देश की आजादी से पूर्व से लगता चला आ रहा हैं।
जिसमें इस बार 351वां मेला लगेगा, देश की आजादी में इस मेले का अपना एक गौरवशाली इतिहास बताया जाता हैं। मेले के आयोजन के साथ ही उसकी आड़ में स्वत्रंता सेनानियों के द्वारा देश की आजादी की रणनीति तैयार की जाती थी। हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मेला, निगम के द्वारा मेला परिषद की भूमि का सही तरह से सीमांकन नहीं कराने और परिसर का सही तरह से रखरखाव नहीं करने के चलते, आगामी भविष्य में संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं।
नगर निगम के निवर्तमान पार्षद अब्दुल गफ्फार व महानगर के अन्य लोगों ने नगर आयुक्त कार्यालय के साथ विभिन्न अधिकारियों को ऐतिहासिक नौचंदी मेला, जोकि इस बार प्रांतीय मेला घोषित किया गया हैं। उस मेले के संबध में एक पत्र लिखा हैं। इस पत्र में मेले के शुभारंभ से लेकर आज तक इसके गौरव शाली इतिहास के बारे में बताया गया कि करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व 1672 में पशु मेले के रूप में इस मेले की शुरुआत हुई थी।
जोकि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस मेले का रूप धीरे-धीरे बदला और वह हिंदू-मुस्लिम एकता एवं भाइचारे के साथ सौहार्द का प्रतीक बनता चला गया और देश की आजादी के दौरान इस मेले की अहम रही। मेले के बहाने प्रदेश एवं देशभर के स्वतंत्रता संग्राम से जुडेÞ लोग इस मेले में शामिल होकर आजादी के लिये रणनीति तैयार करते थे। देश की आजादी से पूर्व ही इस मेले ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।
इस मेले में वर्तमान में प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश एवं विदेशों तक से छोटे बडेÞ व्यापारी एवं दुकानदार शामिल होते हैं। जिसमें हस्तशिल्प, कला शिल्प, जूता शिल्प एवं अन्य प्रकार की शिल्पकारियों का प्रदर्शन जनता के बीच छाप छोड़ने में कामयाब रहा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से अधिकारियों की उदासीनता कहें या फिर भूमाफियों से सेटिंग के चलते नौचंदी परिसर की भूमि पर होने वाले अवैध कब्जों को रोक पाने में विफल साबित दिखाई पड़ रही है।
बताया कि मेला नौचंदी में जिला पंचायत एवं नगर निगम दोनों की भूमिका अहम होती है, लेकिन शिकायत की जांच के लिये कार्रवाई के नाम पर गेंद एक-दूसरे के पाले में डाल देती हैं। अब्दुल गफ्फार व सलीम, जुबैर, अंकित आदि अन्य लोगों ने बताया कि दोनों ही संस्थाओं के द्वारा उदासीनता के मेला परिसर की भूमि का कोई ठोस रिकॉर्ड अभी तक नगर निगम या जिला पंचायत के पास मौजूद नहीं हैं।
जिसके चले अवैध कब्जों की भरमार, स्थानीय लोगों के साथ बाहरी लोगों एवं कुछ शरारती तत्वों के द्वारा मेला परिसर के भवन एवं प्रतिमा आदि को क्षति पहुंचाई जाती रही है। इस ऐतिहासिक मेले की धरोहर के अस्तिव को बचाना है तो जिस भूमि पर मेला लगता है। उस मेले की भूमि की पैमाइश एवं सीमांकन कराकर कब्जा मुक्त कराया जाये और भविष्य में इस तरह की कार्ययोेजना तैयार (जैसे कि चारदीवारी) की जाये कि उसकी भूमि पर अतिक्रमण एवं अवैध कब्जा न हो सके।
निवर्तमान पार्षद अब्दुल गफ्फार ने बताया कि वर्ष 2017 में वह राष्ट्रीय लोकदल में महानगर अध्यक्ष थे। तब उन्होंने इस संबंध में नगर निगम के साथ जिला पंचायत से जनसूचना मांगी थी। जिस पत्रांक संख्या-1053 अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत ने जिलाधिकारी को रिपोर्ट तैयार कर भेजी थी। जिस पर अधिकारियों ने कुछ अवैध कब्जों को अपने कार्यकाल से पूर्व का होना बताकर कार्रवाई करने से पल्ला झाड़ लिया था। जिसमें दोनों ने ही भूमि संबंधी पैमाइश का मामला तहसील के अधिकारियों के पाले में डाल दिया,
लेकिन तहसील प्रशासन द्वारा अभी तक जनसूचना के आधार पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। नौचंदी मेले को भले ही प्रांतीय मेला घोषित कर दिया गया हो, लेकिन नौचंदी मेला परिसर की कितनी भूमि रिकॉर्ड में दर्ज है और कितनी पर अवैध कब्जे हुये हैं। उस पर कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। जिसके चलते लोगों का कहना है कि यदि अवैध कब्जे इसी तरह बढ़ते रहे तो एक दिन मेला नौचंदी का अस्तिव खतरे में पड़ जायेगा।
ऐतिहासिक मेला नौचंदी का उद्घाटन होली के दूसरे रविवार को
नगर निगम बोर्ड का कार्यकाल आठ जनवरी 2023 को पूरा होने के साथ ही नगर निगम की कमान डीएम के हाथों में आ गई। महानगर में जो ऐतिहासिक मेला नौचंदी जो लगता है। कोरोना महामारी के दौरान दो वर्ष तक मेले का आयोजन नहीं हो सका था। इस वर्ष मेले को प्रदेश सरकार के द्वारा प्रांतीय मेला घोषित किया गया हैं। जिसमें इस बार मेले की कमांड डीएम एवं जिला प्रशासन के हाथों में आ गई हैं।
जिसमें इस बार जिला प्रशासन, नगर निगम एवं जिला पंचायत तीनों ही संयुक्त रूप से मिलकर मेले के सफल आयोजन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। हाल ही में सीडीओ शशांक चौधरी ने नगर निगम में इस संबंध में जिला पंचायत एवं निगम के अधिकारियों के साथ संयुक्त मीटिंग की और मेले के लिये करीब एक करोड़ रुपये खर्च करने पर भी चर्चा हुई। जिसमें भवन की रंगाई पुताई एवं जर्जर भवन की मरम्मत, शौचालयों का निर्माण, पटेल भवन की रंगाई पुताई एवं मेला परिसर में सड़क निर्माण कार्य कराने का प्रस्ताव शामिल रहा।
होली के दूसरे रविवार को मेले के उद्घाटन की तिथि घोषित की गई हैं, लेकिन अभी मेला परिसर में कोई साफ सफाई अभियान चलता दिखाई नहीं दे रहा हैं। शायद प्रांतीय मेला घोषित होने के बाद भी गत वर्षों की तरह आधी अधूरी तैयारियों के बीच ही मेले का उद्घाटन होगा।