बाल विवाह व बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता का संदेश देने वाले मोबाइल वैन को डीएम ने दिखाई हरी झंडी

Update: 2025-01-24 12:14 GMT

बदायूं। बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश देने और भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत जिले को बाल विवाह और बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए गैरसरकारी संगठन काशी समाज शिक्षा विकास संस्थान के जागरूकता वाहन को बदायूं की जिलाधिकारी निधि श्रीवास्तव ने कलेक्ट्रेट से रवाना किया। काशी समाज शिक्षा विकास संस्थान (केएसएसवीएस) का यह मोबाइल वाहन जिले की 50 से भी ज्यादा ग्राम पंचायतों में घूम-घूम कर बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता का प्रसार करेगा। केएसएसवीएस बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है।

गांवों और कस्बों में घूम-घूम कर जागरूकता के प्रसार के लिए नारों और पोस्टरों से सुसज्जित इस मोबाइल वैन में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए पहले से रिकार्ड किए गए संदेश होंगे जो ग्रामीणों को सुनाए जाएंगे। लोगों के किसी सवाल का जवाब देने के लिए वैन में एक सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता भी होगा।

इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा, “देश से बाल विवाह की बुराई समाप्त करने के लिए भारत सरकार ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान शुरू किया है। इसके तहत सभी हितधारकों को साथ लेते हुए ग्राम पंचायतों, स्कूलों और प्रखंडों में लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया जाएगा और उन्हें बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई जाएगी। प्रशासन सभी के सहयोग से बदायूं जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” इस मौके पर आकांक्षा समिति की सचिव रूबी शर्मा, एस.डी.एम. कल्पना जायसवाल, ए.डी.एम. नम्रता सिंह, बाल कल्याण समिति की सदस्य सविता मालपाणी व नंद किशोर पाठक, जिला प्रोबेशन अधिकारी अभय कुमार, जिला बाल संरक्षण इकाई के संरक्षण अधिकारी रवि कुमार व चाइल्डलाइन समन्वयक कमल शर्मा व केएसएसवीएस के समस्त कार्यकर्ता मौजूद थे।

केएसएसवीएस सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और यहां तक कि मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों जैसे धार्मिक स्थलों में बाल विवाह और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता का प्रसार कर रहा है। पोस्टरों और बाल विवाह एवं बाल श्रम के खिलाफ लोगों को शपथ दिलाने के अलावा इस गैरसरकारी संगठन ने लोगों को बाल विवाह के सामाजिक, कानूनी और स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस मौके पर काशी समाज शिक्षा विकास संस्थान की सचिव मीना सिंह ने कहा, “जागरूकता के प्रसार की दिशा में हम जो भी कदम उठाते हैं, वह ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ की दिशा में उठाया गया कदम है। हम भारत सरकार, सरकारी विभागों और स्थानीय प्रशासन के आभारी हैं जहां हर कोई मिलकर साझा प्रयासों से जिले से जल्द से जल्द बच्चों के प्रति अपराधों के खात्मे के लिए दृढ़संकल्पित है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी के तौर पर हम बाल विवाह और बाल मजदूरी के खात्मे के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और इस मुहिम में सभी हितधारकों के साथ आने से हम अब अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आश्वस्त हैं।”

बताते चलें कि काशी समाज शिक्षा विकास संस्थान ने वर्ष 2024-2025 में ही 300 परिवारों से यह हलफनामा लिया है कि वे अपने बच्चों का विवाह उनकी कानूनी रूप से वैध उम्र से पहले नहीं करेंगे।

जमीनी स्तर पर इन प्रयासों का स्वागत करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संयोजक रवि कांत ने कहा, “बाल विवाह की बुराई की जड़ें हमारे समाज में गहरे तक पसरी हुई हैं और इसके खात्मे के लिए एक पारिस्थितिकी या परिवेश के अभाव की वजह से यह अब तक जारी है। हालांकि, अब चीजें तेजी से बदल रही हैं। भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के साथ ही अब सभी हितधारक एक साझा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकजुट होकर साझे प्रयास कर रहे हैं। इन प्रयासों से स्पष्ट है कि किस तरह अब हम इस मुद्दे पर हम नीतिगत स्तर से लेकर जमीनी स्तर पर जागरूकता और संवाद के माध्यम से सामूहिक रूप से इस चुनौती का मुकाबला कर रहे हैं।”

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