पहली बार बाघों के डर से वन विभाग की निगरानी में होगी धान की खेती, इन इलाकों में है खतरा

धान की फसल का मौसम है पर बाघ के डर से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं।

Update: 2022-07-04 04:07 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धान की फसल का मौसम है पर बाघ के डर से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। इंसानों की जान लेने वाली एक बाघिन पकड़े जाने के बाद भी ऑपरेशन टाइगर जारी है। वन विभाग लोगों से अकेले खेतों पर न जाने की अपील कर रहा है। अब किसानों को धान रोपने से पहले विभाग को सूचना देनी है। इसके बाद विभाग की निगरानी में धान की खेती होगी। कतर्निया घाट जंगल से सटे तिकुनिया इलाके में महीनों से बाघ-बाघिन का खौफ है। यहां बाघों ने 15 दिनों में चार की जान ले ली। सभी हमले 12 किलोमीटर के दायरे में हुए हैं। इन हमलों के बाद वन विभाग ने ऑपरेशन टाइगर शुरू किया।

एक बाघ और बाघिन को पिंजरे में कैद कर लिया। बाघिन को लखनऊ प्राणि उद्यान भेज दिया गया। अभी वन विभाग को इलाके में और बाघ-बाघिन की मौजूदगी का शक है। लिहाजा हाथियों से कांबिंग लगातार जारी है। वन विभाग बाघ प्रभावित इलाके के किसानों को अकेले खेत पर जाने से मना कर रहा है। यह ऐलान कराया है कि धान लगाने के लिए जाने वाले किसान विभाग को सूचित करें। जिससे विभाग वहां पर हाथी आदि की तैनाती कर सके। यह पहली बार है जब वन विभाग की निगरानी में यहां धान की खेती होने जा रही है।
दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक संजय पाठक का कहना है कि हमने एक खूंखार बाघिन और एक बाघ को पकड़ने में सफलता पाई है। लेकिन अभी भी कई बाघों की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। इसलिए किसान अकेले खेतों की ओर न जाएं। वे समूह बनाकर जाएं और बाघ प्रभावित इलाकों में वन विभाग को सूचना दें। बहुत आवश्यक होगा तो हम वहां सुरक्षा के प्रबंध करेंगे। जिससे खेती भी प्रभावित न हो और कोई घटना भी न होने पाए।
चौपाया समझकर हमला करता है बाघ
जानकारों का कहना है कि धान की खेती के वक्त बाघों के हमले की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। दरअसल धान रोपते वक्त किसान और मजदूर आगे की ओर झुककर काम करता है। जिसे कई बार बाघ कोई चौपाया जानवर समझकर हमला कर देता है। पिछले दिनों बाघ ने धान रोप रही महिला पर हमला किया था और उसे खींचकर ले गया था। इस लिहाज से वन विभाग ग्रामीणों से सतर्क रहकर काम करने को कह रहा है।
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