5 सौ साल पुराना शिव मंदिर बना आस्था का केंद्र, इस गांव में विपत्ति आने से पहले भक्तों को आभास करा देते हैं महादेव

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के शंकरपुर झिसनी में बना प्राचीन शिवाला आस्था और विश्वास का मिलाजुला संगम है।

Update: 2022-07-26 06:01 GMT

 फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के शंकरपुर झिसनी में बना प्राचीन शिवाला आस्था और विश्वास का मिलाजुला संगम है। गांव में आने वाली विपत्ति से पहले मंदिर भक्तों को आभास करा देता है। गांव में हुए सामूहिक नरसंहार से पहले मंदिर पर बिजली गिरी थी जिसमें शिवाले का कुछ हिस्सा दरक गया था। श्रावण मास में प्रतिदिन क्षेत्रभर के श्रद्धालु पवित्र घाघरा नदी के चहलारी घाट से कांवड़ भरकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं।

थानगांव थानाक्षेत्र के शंकरपुर झिसनी गांव में करीब पांच सौ साल पुराना भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बटेश्वर से आए खगेश्वर वाजपेयी के वंशज माधवराम वाजपेयी ने कराई थी। माधवराम वाजपेयी के वंशज राजेंद्र प्रसाद वाजपेई बताते हैं कि बहराइच जनपद के वाजपेईपुरवा भगवानपुर के एक सरदार ने 84 बीघा जमीन माधवराम वाजपेयी को बसने के लिए दी थी। किंतु सरदार की मौत के बाद उसके भाइयों ने उक्त जमीन पर केस कर दिया। बहराइच न्यायालय में केस के दौरान वादी की मौत हो गई और केस गोंडा जनपद न्यायालय को स्थानांतरित हो गया।
वहां के न्यायाधीश ने माधवराम वाजपेयी की विद्वता से प्रभावित होकर 84 के स्थान पर 840 बीघा जमीन माधवराम वाजपेयी को दिए जाने का आदेश कर दिया। इस पूरे मामले को निपटाने के दौरान माधवराम वाजपेयी सीपतपुर में एक पेड़ के नीचे स्थपित भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का पूजन-अर्चन करने जाते थे।
बताया जाता है कि एक दिन राजपुर स्टेट का जमींनदार का पीलवान इसी पेड़ पर चढ़कर हाथी के लिए लोगों के मना करने के बाद भी डालियां काटने चढ़ गया। उसके डाल पर कुल्हाड़ी चलाते ही पीपल से खून निकला और कुल्हाड़ी उसके हाथ से छिटककर नीचे भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर आ गिरी, जिसका निशान आज भी शिवलिंग पर बना है। बताया जाता है कि पीलवान की भी मौके पर मौत हो गई।
माधवराम वाजपेयी केस जीतने के बाद यहां आकर घर बनाकर रहने लगे और यहीं पर विशाल शिवाले का निर्माण करा सीपतपुर से शिवलिंग को लाकर स्थापना करवाई। इसी से इस गांव का नाम शंकरपुर पड़ गया और धीरे-धीरे यहां पूरा गांव आबाद हो गया। बताया जाता है कि बेहद प्रतापी शिवालयों में सुमार शंकरपुर स्थित भोलेनाथ गांव में आने वाली हर विपत्ति से पहले ही आगाह कर देते हैं। 17 नवंबर 2006 को यहां हुए 16 लोगों के सामूहिक नरसंहार से करीब एक माह पूर्व बारिश होने के दौरान शिवाले पर बिजली गिर गई और शिवाले में दरारें आ गईं। बिजली गिरने से मंदिर में बैठे एक कबूतर की मौत हो गई। ग्रामीणों के लिए गांव में होने वाली भयंकर अनहोनी की यह चेतावनी थी।
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