बस्ती: जिला कारागार में बड़े अपराधी बंद हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जो परिस्थितिवश सलाखों में कैद हैं. ऐसे बंदी बाहर मेहनत-मजदूरी कर परिवार की गाड़ी चलाते थे. जिला कारागार में कृषि फार्म के साथ ही भंडारा, साफ-सफाई से लेकर अन्य सभी काम बंदियों से ही कराए जाते हैं. काम के बदले बंदियों को पारिश्रमिक भी मिलता है.
जिला कारागार में 642 बंदी हैं, जिसमें 42 महिलाएं हैं. यहां काम करने वाले 156 बंदी अकुशल श्रमिक की श्रेणी में हैं जो जेल के दैनिक कार्य करते हैं. इन्हें काम के बदले हर दिन पचास रुपये पारिश्रमिक दी जाती है. कुल 7800 रुपये की मजूदरी प्रतिदिन इन श्रमिकों की बनती है. इनका मेहनताना कारागार में ही जमा होता रहता है. बंदी अगर छूटने के पहले बीच में रुपयों को घर भेजना चाहता है तो मुलाकात के दौरान घरवालों को सूचना दे देता है. अपने आश्रित या किसी नजदीकी रिश्तेदार को भुगतान के लिए जेल में प्रार्थना-पत्र देता है. बंदी पारिश्रमिक के रूप में धनराशि अर्जित कर घर भेज रहे हैं. कई बंदी तो ऐसे हैं, जो रुपयों को जमा कराते रहे और जमानत पर छूटने के बाद कारागार से चेक लेकर जाते हैं. इस बाबत प्रभारी जेल अधीक्षक अपूर्वव्रत पाठक ने बताया कि 2023 से 29 फरवरी तक 13 बंदियों को पारिश्रमिक का चेक दिया गया. हाल ही में बंदी कुलदीप सोनी को 4200, सूरज को 5900 और बंदी सिकंदर पाण्डेय को 11800 का चेक जेल से दिया गया है.
सुरक्षित ड्राइविंग के साथ मरीज को दें बेहतर सेवा
एम्बुलेंस सेवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए चल रहे मंडलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 108/102 एम्बुलेंस पॉयलट को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. बस्ती मंडल और महाराजगंज जिले के कर्मियों ने प्रतिभाग किया. संस्था के हेड ऑफ ऑपरेशन अरिजीत पांडेय ने कहा कि एम्बुलेंस पॉयलट को गाड़ी चलाते समय सड़क सुरक्षा का ध्यान रखते हुए आपातकाल में संयमित होकर बेहतर सेवा देनी है. ट्रैफिक नियम और सुरक्षित ड्राइविंग की जानकारी दी.
लखनऊ से आए ट्रेनर आलोक और रमन ने समय से एम्बुलेंस पहुंचने और सुरक्षित ड्राइविंग आदि की जानकारी दी. प्रोग्राम मैनेजर राजन विश्वकर्मा ने बताया 10 दिनों से प्रशिक्षण शिविर चल रहा है. सड़क पर यातायात नियमों का पालन करना चाहिए. क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप कुमार, आशीष, राधेश्याम आदि लोग उपस्थित रहे.