वाराणसी न्यूज़: बच्चों की आंखों में होने वाले रेटिनोब्लास्टोमा कैंसर के इलाज में लापरवाही जानलेवा हो सकती है. इसकी जांच व इलाज सही समय पर जरूरी है. यह तथ्य बीएचयू नेत्र संस्थान के विशेषज्ञ डॉ. आरपी मौर्य के अध्ययन में सामने आया है.
डॉ. आरपी मौर्य के मुताबिक कैंसर पीड़ित बच्चों में तीन प्रतिशत रेटिनोब्लास्टोमा से ग्रस्त हैं. आंकड़ों के मुताबिक हर 18 हजार में एक बच्चे को रेटिनोब्लास्टोमा है. 25-35 प्रतिशत मरीजों की दोनों आंखें प्रभावित हो जाती हैं. आठ वर्षों के अध्ययन में बीएचयू में 863 नेत्र ट्यूमर से पीड़ित मिले. उनमें 422 नेत्र कैंसर से पीड़ित थे. 19 फीसदी केस रेटिनोब्लास्टोमा से जुड़ा था. देर से पहचान होने से ट्यूमर कैंसर में तब्दील हो गया था.
रेटिनोब्लास्टोमा बच्चों की आंखों में सर्वाधिक होनेवाला कैंसर है जो रेटिना की प्रकाश संवेदी कोशिकाओं से पैदा होता है. यह पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है. एक आंख के ट्यूमर (यूनिलेटरल रेटिनोब्लास्टोमा) की पहचान दो वर्ष तथा दोनों आंखों के ट्यूमर की पहचान एक वर्ष से पहले हो जाता है.