झाँसी न्यूज़: करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बावजूद स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के ग्यारह हजार से अधिक शौचालय उपयोगी साबित नहीं हो पा रहे. शासन के निर्देश पर बीते दिनों कराए गए सर्वेक्षण में यह सच्चाई उभरकर सामने आयी है. इन हालातों में तमाम लोग योजना पर ही प्रश्न चिह्न लगाने लगे हैं.
खुले में शौच से होने वाली बीमारियों से ग्रामीणों को राहत दिलाने के दिलाने और गांवों के खेत खलिहानों, मार्गों को साफ सुथरा बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना संचालित की. जिसके तहत शौचालयविहीन परिवारों को शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रुपये की दर से धनराशि जारी की गई. जिला पंचायत राज अधिकारी, विकास विभाग के अफसरों व कर्मचारियों के साथ समूचे सिस्टम को इसमें जुटाया गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन, एलओबी, एनओएलबी व फेज टू के तहत जनपद के गांवों में कुल 2,56,278 व्यक्गित शौचालय बनाए गए. शुरुआती समय में शौचालयों के निर्माण पर फोकस रहा. शौचालय बनने के बाद उनके इस्तेमाल पर जोर दिया जाने लगा है. ग्रामीणों के बीच जाकर जब शौचालयों की उपयोगिता को परखा गया तो निर्माण कार्य में तमाम खामियां सामने आईं. किसी शौचालय में प्लास्टर व लिंटर नहीं मिला तो कहीं गेट नदारत था. किसी शौचालय में शीट ही नहीं मिली.
प्लास्टर नहीं होने के साथ पानी की व्यवस्था भी तमाम जगह नहीं मिली. जनपद में इस तरह के 11,243 शौचालय चिह्नित किए गए. जानकारों के मुताबिक इस तरह की कमियों वाले शौचालयों की संख्या जनपद में और अधिक है. शौचालय बनाते समय पहले ग्राम प्रधान व सचिव के फीलगुड उपरांत शेष धनराशि से काम संभव नहीं रहता. इसलिए तमाम स्थानों पर शौचालय अधूरे पड़े हैं. इसकी जानकारी लगते ही शासन ने इन शौचालयों को ग्राम पंचायत निधि से दुरुस्त किए जाने के निर्देश दिए. वहीं इस कार्य को लेकर ग्राम प्रधान व सचिव लापरवाह बने हुए हैं. कार्य को समय से पूर्ण करने के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी ने अन्य कामों के भुगतान पर रोक लगा दी और लापरवाही पर निलंबन की हिदायत दी. साथ ही यह भी कहा कि इसमें किसी तरह की समस्या आती है तो सीधा सम्पर्क करें या जानकारी दें.