नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों ने कहा है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देकर कंपनियों के विलय के लिए दबाव बनाकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रही हैं इसलिए बीमा क्षेत्र के 50 हजार से अधिक कर्मचारी चार जनवरी को हड़ताल पर रहेंगे। बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों के संगठन ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस एंड एसोसिएशन उत्तरी क्षेत्र के संयोजक त्रिलोक सिंह ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमा और जीआईसी के 120 हजार करोड़ रुपए के उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और जीआईसी के 50 हजार कर्मचारी 4 जनवरी को एक दिन की पूर्ण हड़ताल पर रहेंगे।
उन्होंने कहा कि पुनर्गठन के नाम पर बड़े पैमाने पर कार्यालयों की पालिसी को मनमाने तथा एकतरफा तरीके से थोपने के विरोध में 14, 21 तथा 28 दिसंबर को संयुक्त मोर्चा के बैनर तले पूरे देश में प्रदर्शन किया लेकिन जिएपीएसए प्रबंधन तथा वित्तीय सेवा विभाग-डीएफयस ने इस मामले को संज्ञान में ही नहीं लिया। कर्मचारियों का कहना है कि डीएफएस के संयुक्त सचिव द्वारा वित्तीय समावेशन के विरुद्ध केपीआई पालिसी लाकर जीआईपीएसए प्रबंधन के माध्यम से कंपनियों पर सैकड़ों कार्यालयों को बंद करने और उनके विलय का अनैतिक दबाव बनाया जा रहा है। सरकार की इसी नीति का परिणाम है कि पिछले 2 वर्षों में चार सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के लगभग 1000 कार्यालय बंद हो चुके हैं। उनका कहना था कि जिन कार्यालयों पर गाज गिरी उनमें सभी द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के शहरों में थे। बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों ने कहा कि सरकार का सैकड़ों कार्यालयों के बड़े पैमाने पर बंद करने और विलय का एकतरफा निर्माण पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह फैसला पॉलिसीधारकों और आम नागरिकों को प्रभावित कर रहा है। सरकार के इस कदम से निजी बीमा कंपनियों को बीमा बाजार पर कब्जा करने के लिए खुला रास्ता दिया जा रहा है।