Jhansi: जनप्रतिधिनियों और अफसरों की सांठगांठ से सप्लायर गेहूं की बजाय सोयाबीन के ठूंठ सप्लाई कर रहा

Update: 2024-12-12 05:57 GMT

झाँसी: जनपद स्थित विभिन्न गोवंश आश्रय स्थलों में भूसे का खेल जबरदस्त ढंग से खेला जा रहा है. जनप्रतिधिनियों और अफसरों की सांठगांठ से सप्लायर गेहूं की बजाय सोयाबीन के ठूंठ सप्लाई कर रहा है. गाय में आस्था रखने वाले कुछेक अफसर और कर्मी यदि प्रतिरोध दर्ज कराते हैं तो उनको जिलास्तरीय अफसरों की डांट फटकार झेलनी पड़ती है. बुंदेलखंड विकास सेना ने इस घालमेल पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है.

बुन्देलखण्ड विकास सेना की एक आवश्यक बैठक स्थानीय कम्पनी बाग में संगठन प्रमुख हरीश कपूर टीटू की अध्यक्षता में आहूत की गई. इस दौरान संगठन प्रमुख ने कहा कि जनपद के 27 गोवंश आश्रयस्थलों में 30,000 से अधिक मवेशी संरक्षित हो रहे हैं. लगभग 10,000 गोवंश सहभागिता योजना के तहत ग्रामीणों के पास हैं. इनकी खुराक के लिए 50 रुपये प्रतिदिन सरकारी खजाने से निर्गत किया जा रहा है. इन गोवंशों के लिए गेहूं के भूसे का टेंडर किया गया है. लेकिन, अधिकारियों और ग्राम प्रधानों से सांठगांठ करके सप्लायर गेहूं का भूसा हर रोज नहीं भेज रहा है. पिछले कई दिनों से जनपद की विभिन्न गौशालाओं में सोयाबीन के घटिया ठूंठ की सप्लाई जारी है. जिसको मवेशी चबा नहीं पा रहे हैं. इस खुराक से गोवंशों की सेहत बिगड़ते देख कुछेक अफसरों व कर्मियों ने आला अधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की लेकिन व्यवस्था सुधारने के बजाय जिलास्तरीय अधिकारियों ने मातहतों को कड़ी फटकार लगाते हुए शांत कर दिया. बैठक के दौरान संगठन के तमाम पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे.

भूसा, चुनी आपूर्ति की हो निगरानी: बैठक में भूसा और चुनी आपूर्ति की निगरानी पर विस्तृत चर्चा हुई. वक्ताओं ने कहा कि गोवंश आश्रयस्थलों के गेट और गोदाम पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. भूसे का वजन करने के बाद ही उसको स्टोर किया जाए. समय समय पर चुनी और साइलेज के नमूने लेकर इसकी गुणवत्ता परखी जाए.

Tags:    

Similar News

-->