कबाड़ हो रहे करोड़ों के डिजिटल गाइड उपकरण

Update: 2023-08-06 06:02 GMT

मथुरा न्यूज़: राजकीय संग्रहालय में पर्यटकों को पाषाण कलाकृतियों से डिजिटल तरीके से परिचित कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना धूल फांक रही है. करीब दो करोड़ की लागत से खरीदे गए डिजिटल उपकरण बिना प्रयोग हुए ही बेकार हो गए हैं. एक बार काम समाप्त होने के बाद जो शाब्दिक गलतियों के सुधार बताए गए, उनको ही डेढ़ साल से सुधारा नहीं जा सका है, लिहाजा डिजिटल गाइड सिस्टम हैंडओवर भी नहीं हो सका है.

राजकीय संग्रहालय में करीब चार साल पहले 2019 में पर्यटकों को ऑडियो-विजुअल तरीके से कलाकृतियों की जानकारी देने के लिए डिजिटल उपकरण लगाने की प्रक्रिया शुरु हुई थी. प्रमुख कलाकृतियों का रिकॉर्ड अपलोड किया गया, ताकि हेडफोन के माध्यम से पर्यटक कलाकृतियों के इतिहास, महत्व, प्राप्ति स्थान और प्राप्ति समय की जानकारी ले सकें. इस परियोजना की लागत करीब दो करोड़ थी. करीब ढाई साल तक डिजिटल उपकरणों में प्रमुख कलाकृतियों का रिकॉर्ड अपलोड किए जाने और उन्हें मूर्तियों के साथ स्थापित किए जाने का काम चला. लेकिन कार्यदायी संस्था ने मूतियों की डिटेल में कई शाब्दिक गलतियां छोड़ दीं. इसके बाद अप्रैल माह, वर्ष 2021 में राजकीय संग्रहालय के तत्कालीन सहायक निदेशक यशवंत सिंह राठौर ने इन गलतियों को सुधारने के लिए कार्यदायी संस्था को निर्देश दिए. इस कारण सिस्टम की स्थापना का काम रुक गया.

अधिकारी बदले, पर नहीं बदले हालात शाब्दिक गलतियों के सामने आने के बाद डेढ़ साल का वक्त गुजर गया. राजकीय संग्रहालय के सहायक निदेशक भी बदल गए, लेकिन ऑडियो-वीडियो सिस्टम संग्रहालय में हैंडओवर नहीं हो सके. इस कारण करीब चार साल से राजकीय संग्रहालय मंल ऑडियो-वीडियो सिस्टम के उपकरण निष्प्रयोज्य रखे हुए हैं, जिन पर कबाड़ होने का खतरा मंडरा रहा है. राजकीय संग्रहालय के नवागत सहायक निदेशक योगेश यादव से इस बारे में बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल बंद मिला.

डिजिटल सिस्टम के बाद नहीं होगी गाइड की जरुरत

यदि राजकीय संग्रहालय में ऑडियो वीडियो की डिजिटल गाइड ने काम करना शुरु कर दिया तो पर्यटकों को मूतियों की जानकारी के लिए किसी गाइड या कर्मचारी की जरुरत नहीं पड़ेगी. मूतियों की पूरी जानकारी डिजिटल सिस्टम में फीड किया जाएगा, जिससे पर्यटक सुगमता से मूतियों की जानकारी ले सकते हैं.

Tags:    

Similar News

-->