बस्ती: प्रसूता व उसके जुड़वा बच्चों की अवैध अस्पताल में हुई मौत के गम्भीर मामले में 10 दिन गुजर जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के हाथ खाली है. पीड़ित की ओर से शिकायती पत्र दिए जाने के बाद भी विभाग अवैध अस्पताल के संचालक के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज कराने को तैयार नहीं हैं. अब मामले में लीपापोती की जा रही है. एसीएमओ डॉ. एके मिश्रा का कहना है कि एमओआईसी गौर को मामले में केस दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया जा चुका है, जबकि एमओआईसी डॉ. अमरजीत का कहना है कि अभी तक अवैध अस्पताल के संचालक का नाम-पता मालूम नहीं हो सका है. इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा है.
गौर थानाक्षेत्र के कुर्दा गांव निवासी अहमद हुसैन खान ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी गौर व सीएमओ बस्ती को दिए प्रार्थना-पत्र में कहा है कि विगत 21 जुलाई को उसकी पत्नी जैनब खातून को प्रसव पीड़ा हुई. जिसे सीएचसी गौर पहुंचाया गया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. एम्बुलेंस स्टॉफ व स्थानीय आशा ने मरीज को सुजिया स्थित न्यू स्टार हॉस्पिटल पहुंचा दिया. जहां झोलाछाप ने उसका प्रसव कराया. प्रसव के बाद पैदा हुए जुड़वा बच्चों ने दम तोड़ दिया. अगले दिन प्रसूता की भी जान चली गई. विभाग ने जांच में पाया कि अस्पताल बिना पंजीकरण के व कई वर्षों से चल रहा था. विदेश में रहने वाले एक व्यक्ति के मकान में किराए पर अस्पताल का संचालन किया जा रहा था.
इस बाबत प्रभारी निरीक्षक गौर राजकुमार पांडेय ने बताया कि स्थानीय थाने को कोई शिकायती-पत्र नहीं मिला है. प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमरजीत ने बताया कि एम्बुलेंस स्टॉफ व आशा कर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
पर्दे के पीछे पीड़ित को मनाने का हो रहा प्रयास
पर्दे के पीछे अब पीड़ित को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि जिम्मेदारों की ओर से अवैध संचालक को यह इशारा कर दिया गया है कि अगर मामले में सुलह हो जाए तो वह कार्रवाई से बच सकता है. संचालक जितनी रकम देने को तैयार है, शायद उतने पर बात नहीं बन रही है, उसी पर मामला लटका हुआ है.