कंकरखेड़ा: क्षेत्र में सरकारी भूमि भ्रष्टाचार का बड़ा मामला प्रकाश में आने के बाद कई विभाग में हड़कंप मचा है। करीब 500 करोड़ की भूमि को सरकारी कर्मचारियों की सांठगांठ से बेच दिया गया। अब सभी आरोपी पुलिस पकड़ से बचने के लिए भूमिगत हो गए हैं। इस मामले में इंटेलिजेंस विभाग भी जांच में जुट गया है और लोगों से मिलकर जरूरी दस्तावेज एकत्र कर रहा है।
हालांकि उनकी जांच में भी सेंट्रल बैंक आवास की करीब 192 बीघा जमीन अवैध रूप से बेचने का मामला प्रकाश में आया है। इसमें प्रशासनिक कर्मचारियों की भूमिका बेहद गंभीर और लापरवाहीपूर्ण सामने आ रही है। इस घोटाले के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम सहित कई विभागों में हड़कंप मचा हुआ है। थाने में श्रद्धापुरी निवासी गुलवीर ने सात लोगों को नामजद करते हुए 15 से 20 लोगों के गिरोह पर अवैध रूप से 500 करोड़ रुपये की जमीन बेचने का मुकदमा दर्ज कराया है। जिसमें प्रशासनिक कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। इस मामले में अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद इंटेलिजेंस विभाग भी हरकत में आ गया है। कंकरखेड़ा क्षेत्र में जांच कर रहा है और जरूरी दस्तावेज एकत्र कर रहा हैं।
गुलवीर ने सरकारी भूमि बेचने वाले 25 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा एक साथ ही दर्ज करा दिया। हालांकि जांच में सामने आया है कि सरकारी भूमि बेचने का मामला इन लोगों ने एक साथ नहीं किया। सभी लोग अपने अपने स्तर से और अलग-अलग तरीके से जमीन बेच चुके हैं। जिसमें नगर निगम, मेरठ विकास प्राधिकरण, रेलवे की भूमि, नाले और चकरोड शामिल है। जांच में सामने आया है कि सेंट्रल बैंक कर्मचारी आवासीय कॉलोनी की 192 में बीघा से ज्यादा जमीन पर प्लॉटिंग कर दी गई।
जिसमें कई मकान बन कर तैयार भी हो चुके हैं। अब बताया गया है कि सेंट्रल बैंक सोसाइटी की जमीन को नरेश यादव और रमेश चंद यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर बेच दिया है। जांच में यह तथ्य सामने आया है कि सेंट्रल बैंक सोसाइटी के सचिव पद पर नरेश यादव है। जो सोसाइटी गलत तरीके से बनाई गई है। हालांकि इस मामले की अभी जांच चल रही है। फिलहाल सेंट्रल बैंक कर्मचारी आवास के कार्यालय पर ताला लटक गया है।