आदिवासियों का हक छीनने में जुटी कांग्रेस- संजीव गोंड़
जनजाति सुरक्षा मंच की तीन दिवसीय कार्यशाला
मीरजापुर, 19 अगस्त (हि.स.)। जनजाति सुरक्षा मंच की तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ शुक्रवार को चुनार स्थित सुरभि शोध संस्थान के रामबाग प्रकल्प में हुआ। प्रदेश के अनुसूचित जाति जनजाति समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोड़, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी, जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत, सह संयोजक राजकिशोर हांसदा, सुरभि के सूर्यकांत जालान ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
उद्घाटन सत्र में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए श्रीगोड़ ने कहा कि पचास सालों तक आदिवासियों को दबाने और उनके अधिकारों को छीनने का काम कांग्रेस सरकारों ने किया। जनजातीय अधिकारों पर राज्यमंत्री ने संविधान संशोधन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए जो धर्मांतरण कर चुके हैं और हमारे समाज के अधिकारों को छीन रहे हैं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सकारात्मक सोच का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में जनजातियों को उनके अधिकार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भाजपा और प्रधानमंत्री का नेतृत्व ही है कि देश के आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद पर आसीन हुई हैं। प्रदेश में जनजाति में आने वाले 22 लाख से अधिक लोग हैं। प्रदेश की योगी सरकार वनाधिकार के माध्यम से आदिवासी समाज और जनजातियों को अधिकार दिलाने के लिए कार्य कर रही है।
राष्ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हांसदा ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व संसद सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबा कार्तिक उराव ने संसद में जनजाति के मुद्दे को उठाया था। उनका मानना था कि जो लोग अपना धर्म और संस्कृति छोड़ कर दूसरे धर्म में शामिल हो गए हैं, उनका जनजाति का आरक्षण लेना वास्तविक पात्रों के साथ अन्याय है। आह्वान किया कि जनजाति सुरक्षा आंदोलन को जनांदोलन बनाया जाए और इसके लिए देश के प्रत्येक गांव व जिले में लोगों को जागरूक किया जाए। इसके पहले सुरभि के सूर्यकांत जालान उर्फ कानू बाबू ने सुरभि शोध संस्थान द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्पों, वनवासी छात्रावासों व विद्यालयों के बारे में बताया।
देश के विभिन्न राज्यों के 200 प्रतिनिधि ले रहे भाग
तीन दिवसीय कार्यशाला में उप्र, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों के दो सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। तीन दिनों तक विभिन्न सत्रों में स्व. कार्तिक उरांव द्वारा छेड़े गए अभियान को पूरा किए जाने पर मंथन होगा। जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन व धर्मांतरित लोगों को आरक्षण से बाहर किए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अभियान को धार देने की योजना पर भी विचार किया जाएगा।