यूपी में विदेशों से किया गया कोयले का आयात, एक रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो सकती है बिजली

उत्तर प्रदेश में बिजली संकट जारी है और राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार बिजली की उपलब्धता के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है.

Update: 2022-05-06 03:18 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तर प्रदेश में बिजली संकट जारी है और राज्य की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार बिजली की उपलब्धता के लिए सभी तरह के प्रयास कर रही है. लेकिन राज्य में इसके बावजूद बिजली संकट (power crisis) से जनता रूबरू हो रही है. राज्य में बिजली कटौती की जा रही है. अब केन्द्र सरकार ने राज्यों से कोयले (Coal)के संकट को देखते हुए विदेशों से कोयला का आयात करने को कहा है. बताया जा रहा है कि थर्मल परियोजनाओं के लिए 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने से बिजली उत्पादन कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा और इसका भार बिजली उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि बिजली उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 1 रुपये अधिक खर्च करना पड़ सकता है.

जानकारी के मुताबिक साल भर में विदेशी कोयला खरीदने से करीब 11 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा और इसका सीधा असर बिजली के बिलों पर पड़ेगा. क्योंकि अतिरिक्त भार की पूर्ति बिजली की दरों को बढ़ाकर की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सरकार को पूरा ब्योरा भेजकर विदेशी कोयला खरीदने की अनुमति मांगी है. दरअसल थर्मल प्रोजेक्ट्स के साथ अपर्याप्त घरेलू कोयला होने के कारण केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे अपनी जरूरत का 10 प्रतिशत कोयला आयात करने के लिए 31 मई तक तदर्थ खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दें. फिलहाल केंद्र के आदेश पर निजी क्षेत्र के अधिकांश बिजली उत्पादकों ने विदेशी कोयला खरीदने के लिए विज्ञापन जारी किए हैं. जबकि राज्य के विद्युत उत्पादन निगम ने विदेशी कोयला खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले राज्य सरकार से सहमति मांगी है.
एक रुपये तक महंगी हो सकती है बिजली
बिजली संकट से जूझ रहे पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने 10 प्रतिशत विदेशी कोयले की खरीद से बिजली दरों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया है. सरकार को भेजे गए ब्योरे में साफ तौर पर कहा गया है कि विदेशी कोयले से निगम पर करीब 11 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा. जिसका वहन करने में निगम सक्षम नही है. लिहाजा इसे उपभोक्ताओं की तरफ शिफ्ट किया जाए और बिजली की दरों में इजाफा किया जाए. निगम का कहना है कि अगर सरकार अनुमति देती है तो उपभोक्ताओं की बिजली करीब 85 पैसे से एक रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो सकती है. हालांकि अभी तक सरकार ने इस पर फैसला नहीं किया है.
नियामक आयोग ने इस साल नहीं बढ़ाई बिजली की दरें
बताया जा रहा है कि वर्तमान में माल भाड़े सहित कोल इंडिया की घरेलू कोयले की दर लगभग तीन हजार रुपये प्रति टन है जबकि इसकी तुलना में विदेशों से मंगाए जाने वाले कीमत कई गुना ज्यादा है. विदेशी कोयले की न्यूनतम दर 17000 रुपये प्रति टन है और कुल जरूरत का केवल 10 प्रतिशत आयात करने पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय का अनुमान लगाया गया है. गौरतलब है कि मौजूदा सत्र में बिजली की दर में वृद्धि को लेकर पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में कोई टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है. जिसके कारण बिजली की कीमत में इजाफा नहीं हुआ है.
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