ईंट से लदे व्यवसायिक ट्रैक्टरों से कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है, व्यवसायिक ट्रैक्टरों पर कौन लगायेगा अंकुश
मेरठ: दिन में भारी वाहनों की एंट्री पर शहर में रोक है, लेकिन व्यवसायिक ट्रैक्टर र्इंटों को लादकर दिनभर शहर की सड़कों पर घूमते रहते हैं, लेकिन इन पर किसी तरह का अंकुश नहीं लगा लगाया जा रहा है। व्यवसायिक ट्रैक्टर ट्रैफिक पुलिस के लिए भी अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बने हुए हैं।
इनकी जरा-सी लापरवाही शहर में र्इंट से लदे व्यवसायिक ट्रैक्टरों से कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है, लेकिन इसको ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी नहीं रोक रहे हैं। कंकरखेड़ा बाइपास, रोहटा रोड बाइपास व बागपत रोड बाइपास ये तीन ऐसे एंट्री प्वाइंट हैं, जहां से सर्वाधिक व्यवसायिक ट्रैक्टरों में र्इंट लादकर शहर में एंट्री की जाती है। यहां पर रोकने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जाते। इसी वजह से ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी इनसे वसूली करते हैं और ट्रैक्टरों की शहर में एंट्री करा देते हैं। हर रोज 50 से 100 ट्रैक्टर शहर में र्इंट लेकर आते हैं।
बता दे कि सरधना बाइपास पर सुविधा शुल्क टैÑक्टरों से वसूली की जाती हैं। इसमें ट्रैफिक पुलिस कर्मी सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गए। ट्रैक्टर को यातायात पुलिस कर्मियों ने रोक रखा था। जब कैमरे में ट्रैफिक पुलिस कर्मी कैद हो गए तो इसका चालान भी कर दिया गया, ताकी जवाबदेही से बचा जा सके। चेकिंग के नाम पर यहां पर भ्रष्टाचार का यातायात चल रहा हैं। टीएसआई भूपेन्द्र और मनीष नागर अपने सहयोगी होमगार्ड के साथ सुबह से ही वसूली में जुट जाते हैं।
ट्रैफिक जाम होता है तो होने दे, इन पर कोई असर नहीं पड़ता हैं। ट्रैक्टरों को साइड में रोक लिया जाता हैं। कागजों की जांच के नाम पर उनका आर्थिक उत्पीड़न किया जाता हैं। बाद में सहमति बनने के बाद ट्रैक्टरों की एंट्री शहर में होने दी जाती हैं। इसमें ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की पूरी मिलीभगत होती हैं। पुलिस के आला अफसरों ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की हैं तथा नहीं भ्रष्टाचार में संलिप्त ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को सरधना बाइपास से हटाया गया हैं।