Bareilly: विवाहिता की हत्या के आरोपी को 7 साल की सजा

Update: 2024-12-20 14:31 GMT
Bareilly बरेली: शादी के दो साल बाद ही दहेज के लिए विवाहिता की हत्या कर देने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश अभय श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को अतरछेड़ी (बिशारतगंज) निवासी उसके वकील जेठ अरुण कुमार और देवर मुदित सिंह को दोषी करार दिया। दोनों सात साल के कारावास की सजा सुनाते हुए उन पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
सरकारी वकील अनूप कोहरवाल के मुताबिक विवाहिता ममता के पिता बनियाठेर (मुरादाबाद) निवासी विजयपाल सिंह ने थाना बिशारतगंज में रिपोर्ट लिखाई थी। इसमें कहा था कि उन्होंने जून 1999 में ममता की शादी अतरछेड़ी के संजय सिंह के साथ की थी। दहेज से ससुराल वाले संतुष्ट नहीं थे। संजय और उसके घरवालों ने कलर टीवी और बाइक देने से पहले उनकी बेटी की पहली विदा करने से भी इन्कार कर दिया। बाद में 25 हजार रुपये देने के साथ उन्होंने बेटी के ससुराल वालों की खुशामद की, तब कहीं 29 जनवरी 2000 को उन्होंने उसे पहली बार
विदा किया।
उनकी बेटी ने अपनी मां को बताया कि पति और ससुराल वाले उससे मारपीट करते हैं, कभी-कभी करंट भी लगाते हैं। उनकी बेटी को 8 सितंबर 2000 को मायके में ही बेटा पैदा हुआ। दामाद संजय और उसके घरवालों ने 28 मार्च 2001 को उन्हें भरोसा दिलाया कि ममता से आगे कोई गलत व्यवहार नहीं करेंगे तो उन्होंने 29 मार्च 2001 को उसे विदा कर दिया। इसके बाद 17 जून 2001 को उनका बेटा बहन का हालचाल लेने अतरछेड़ी गया तो मकान पर ताला लगाया पाया। पूछताछ करने पर पता चला कि ममता की 13 जून 2001 को संजय ने परिजनों के साथ मिलकर हत्या कर लाश को गायब कर दिया।
पुलिस ने उत्पीड़न, दहेज हत्या, आपराधिक षडयंत्र के आरोपों में रिपोर्ट दर्ज की थी। सीबीसीआईडी ने विवेचना कर पति संजय सिंह, ससुर तिलक सिंह, सास श्यामा, जेठ अरुण और देवर मुदित के विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट भेजा था। शासकीय अधिवक्ता ने 10 गवाह पेश किए थे। सीबीसीआईडी के एसपीओ अमरनाथ तिवारी और पैरोकार देवेंद्र कुमार सिंह ने केस की पैरवी की।
छोटे भाई ने ही कर दिया ममता के पति का कत्ल
ममता का देवर और उसकी हत्या का अभियुक्त मुदित प्रताप सिंह छात्र नेता रहा है। मुदित प्रताप सिंह ने अपने बड़े भाई अधिवक्ता संजय सिंह की हत्या 2021 में आंवला में कार से कुचलकर कर दी थी। तीन और लोगों ने इसमें उसका साथ दिया था। ममता की सास श्यामा और ससुर तिलक सिंह की भी मृत्यु हो चुकी है। इस वजह से अदालत ने उनके विरुद्ध मुकदमे की कार्यवाही खत्म कर दी थी।
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