बाबा विश्वनाथ शाही पगड़ी पहनकर बनेंगे दुल्हा, मदुरै के मंदिर से आया जोड़ा, साढ़े तीन सदी से अधिक पुरानी परंपरा

बाबा विश्वनाथ इस बार रंगभरी एकादशी के दिन 20 मार्च को अपने गौने की बरात में शाही पगड़ी और गुजराती खादी से बने परिधान धारण कर दूल्हा बनेंगे तो माता पार्वती गुलाबी रंग की बनारसी साड़ी में दुल्हन स्वरूप में दर्शन देंगी। इसकी तैयारियां भी जोर-शोर से जारी हैं।

Update: 2024-03-08 04:36 GMT

यूपी : बाबा विश्वनाथ इस बार रंगभरी एकादशी के दिन 20 मार्च को अपने गौने की बरात में शाही पगड़ी और गुजराती खादी से बने परिधान धारण कर दूल्हा बनेंगे तो माता पार्वती गुलाबी रंग की बनारसी साड़ी में दुल्हन स्वरूप में दर्शन देंगी। इसकी तैयारियां भी जोर-शोर से जारी हैं।

साढ़े तीन सदी से अधिक पुरानी परंपरा
मान्यता है कि इस दिन बाबा विश्वनाथ स्वयं भक्तों के साथ होली खेलते हैं। विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत आवास पर विराजमान बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती और गणेश की चल रजत प्रतिमाओं के राजसी स्वरूप का दर्शन होता है। इस अनुष्ठान का यह 359वां वर्ष है। एकादशी की शाम साढ़े चार बजे बाबा की पालकी उठने से पहले सगुन के गीतों के बीच बाबा के स्वरूपों संग भभूत की होली खेली जाएगी। इसके बाद शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर जाएगी। गर्भगृह में प्रतिमाएं स्थापित कर होली खेलने के बाद विशेष सप्तर्षि आरती होगी। पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के अनुसार गौना का लोकाचार आरंभ होने से पालकी विदाई तक महंत आवास ही गौरा का मायका होता है।
महाशिवरात्रि पर को पूर्व महंत आवास पर होने वाले वैवाहिक कर्मकांड के दौरान बाबा विश्वनाथ और गौरा की चल प्रतिमा के लिए मदुरै से वस्त्रत्त् भेजे गए हैं। मदुरै के मीनाक्षी सुंदेश्वर मंदिर के पुजारी पं. एसके रमन शास्त्रत्त्ी एवं उनकी पत्नी सुंदरता लक्ष्मी बाबा और गौरा के विवाह का जोड़ा लेकर गुरुवार को काशी पहुंचीं।उन्होंने विवाह का पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी को सौंपा। वस्त्रत्त् के साथ ही वर-कन्या के लिए मुकुट तथा कन्या के लिए विशेष हार भी भेंट किया। पं. शास्त्रत्त्ी ने कहा कि जब मुझे यह सूचना मिली कि विवाहपूर्व लोकाचार के लिए अयोध्या के प्रसिद्ध रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के पुत्र पं. राघवेश पांडेय ने अयोध्या से हल्दी भेजी है उसी समय तय कर लिया था कि बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के लिए वस्त्रत्तें का जोड़ा अपनी तरफ से भेंट करूंगा। महाशिवरात्रि के दिन महंत आवास पर होने वाले वैवाहिक कर्मकांड के दौरान बाबा और गौरा की चल प्रतिमाओं को यही जोड़ा धारण कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एक तरफ विश्वनाथ मंदिर में बाबा का विवाह होता है तो ठीक उसी समय पूर्व महंत आवास पर भी विवाह के विधान पूर्ण होते हैं। यह परंपरा मंदिर के स्थापना काल से चली आ रही है।


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