Ayodhya अयोध्या: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की ऐतिहासिक तिथि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रतिष्ठा द्वादशी का दृश्य फिर दोहराया गया। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी की तिथि आम श्रद्धालुओं की स्मृतियों में अंकित है। जिस प्रकार चैत्र प्रतिपदा को हिंदी नववर्ष उत्सव की बजाय कर्मकांड के लिए समर्पित होता है। उसी प्रकार प्रतिष्ठा द्वादशी कर्मकांड के लिए थी जबकि 22 जनवरी उत्सव की तिथि बन गई। इस अवसर पर डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन किए। उधर, यहां लगातार भीड़ को देखते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से दर्शनार्थियों के लिए दो फास्ट ट्रैक लेन तैयार की गई हैं।
फास्ट ट्रैक लेन के श्रद्धालु जन्मभूमि पथ के अलावा राम गुलेला बैरियर से होते हुए इस लेन से जल्द से जल्द दर्शन कर सकेंगे। श्रीरामजन्मभूमि में रामलला के दर्शन के लिए उमड़ रही भीड़ के चलते परिसर के बाहर स्थित तीर्थ यात्री सेवा केंद्र और तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र में बनाए गए छह हजार से अधिक लॉकर अपर्याप्त हो गए। लॉकरों के साथ ही जूता-चप्पल स्टैंड की संख्या भी बढ़ाने की योजना बनाई गई है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 15 जनवरी के बाद जिस तरह से भीड़ आ रही है, अनुमान के आधार पर की गई व्यवस्थाएं अपर्याप्त हो गई हैं। उन्होंने बताया कि इसके चलते भवन निर्माण समिति की बैठक में इस विषय पर काफी गंभीरता से चर्चा की गई।
श्रीरामजन्मभूमि में रामलला के दर्शन के लिए उमड़ने वाली भारी भीड़ के चलते परिसर के बाहर स्थित तीर्थयात्री सेवा केंद्र और तीर्थयात्री सुविधा केंद्र में बनाए गए छह हजार से अधिक लॉकर अपर्याप्त हो गए। लॉकरों के साथ ही जूता-स्टैंड की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई गई है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 15 जनवरी के बाद जिस तरह से भीड़ आ रही है, अनुमान के आधार पर की गई व्यवस्थाएं अपर्याप्त हो गई हैं। उन्होंने बताया कि इसके चलते भवन निर्माण समिति की बैठक में इस मुद्दे पर काफी गंभीरता से चर्चा की गई।