बरेली न्यूज़: लल्ला गद्दी से पूछताछ में यह भी सामने आया कि जेल में अशरफ से मुलाकात के साथ ही वह उसके साले सद्दाम के लगातार संपर्क में रहता था. यहां उसने प्रापर्टी डीलर और समाज के लोगों में अशरफ का नेटवर्क तैयार करने में मदद की. साथ ही सद्दाम के जरिये जमीनों में पैसा लगवाकर उसका काम देखने लगा.
एसआईटी की पूछताछ में लल्ला गद्दी ने अशरफ व उसके साले से मिलने वाले और उसके संपर्क में रहने वाले तमाम लोगों के नाम उजागर किए हैं. उसने बताया कि वह और सद्दाम प्रापर्टी डीलर से मिलकर अशरफ के रुपये उसके काम में लगवाते थे. उसने कुछ प्रापर्टी डीलर के नाम भी लोगों के बताए हैं, जिनके बारे में एसआईटी जांच करने में लगी है. इनमें बारादरी एक भी प्रापर्टी डीलर एवं बारातघर मालिक है, जो सद्दाम के जरिये अशरफ के संपर्क में रहता था. लल्ला गद्दी ने यह भी बताया कि जिन प्रापर्टी में अशरफ का पैसा लगा होता था, उनकी देखरेख वह खुद करता था. साथ ही किसी मामले में जरूरत पड़ने पर अशरफ के नाम से सद्दाम से सिफारिश कराई जाती थी.
अशरफ के रसूख से बनना चाहता था मेयर: लल्ला गद्दी ने पूछताछ में बताया कि अशरफ उनके गद्दी समाज से ही आता है. इस वजह से भी उसकी नजदीकी बनाई. वह अशरफ के जरिये अपने समाज के लोगों में रसूख बनाकर मेयर का चुनाव जीतना चाहता था. इसके लिए उसे पार्टी के नेताओं से बात करके मेयर का चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी थी. सद्दाम के जरिये अशरफ का पैसा जमीन में लगने से भी उसका रसूख बढ़ने लगा था और समाज में उसका दायरा बढ़ गया था. इसकी वजह से ही वह जमीन के विवादों में समझौते भी कराने लगा था.
मददगार भी निशाने पर: 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के तार अशरफ से जुड़ने के बाद सात मार्च को थाना बिथरी चैनपुर में अशरफ, उसके साले सद्दाम, लल्ला गद्दी, जेल के बंदी रक्षक शिवहरि अवस्थी, कैंटीन सप्लायर दयाराम उर्फ नन्हें के अलावा अज्ञात अधिकारियों-कर्मचारियों पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. नामजद शिवहरि अवस्थी, कैंटीन सप्लायर दयाराम उर्फ नन्हें को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.