Lucknow: 55 साल के 1200 संविदाकर्मी सेवा से बाहर

"दूसरी जिम्मेदारी देने की अपील"

Update: 2025-02-03 07:04 GMT

लखनऊ: मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (MVVNL) ने 55 साल की उम्र पूरी कर चुके संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। निगम ने शनिवार को आदेश जारी किया, जिसके तहत इन कर्मचारियों को बिजली लाइनों से जुड़ा कोई भी काम न सौंपने का निर्देश दिया गया। इस आदेश पर महज चौबीस घंटे में तुरंत अमल करते हुए करीब 1,200 संविदाकर्मियों को सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

यहां इतने कर्मचारियों की थी तैनाती

इनमें से 1,000 कर्मचारी रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, बहराइच, लखीमपुर, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, सुलतानपुर, अमेठी, शाहजहांपुर, बरेली, बदायूं और पीलीभीत जिलों में कार्यरत थे। लखनऊ में करीब 200 संविदाकर्मियों को सेवा से हटाया गया है।

ईपीएफ पेंशन का संकट : आधे कर्मचारी रहेंगे वंचित

सेवा समाप्त किए गए इन संविदा कर्मचारियों में से 50 प्रतिशत कर्मचारी ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) से पेंशन पाने के हकदार नहीं होंगे। संविदा नियुक्तियां 2000 से शुरू हुई थीं। लेकिन, शुरुआती 18 वर्षों तक इनके वेतन से ईपीएफ कटौती नहीं की गई। ईपीएफ जमा होने की प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी। ऐसे में 25 साल की सेवा करने वाले कई कर्मचारियों के पास केवल पांच से छह साल का ईपीएफ जमा है, जो उन्हें किसी भी प्रकार की पेंशन सुविधा नहीं देगा।

55 साल के नियमित कर्मियों की हालत विपरीत

लखनऊ के बिजलीघरों में 55 साल से अधिक उम्र के करीब 150 नियमित कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें से कई कर्मचारी अपने पद के अनुरूप काम करने में असमर्थ हैं। लाइनमैन और पेट्रोलमैन जैसे कर्मचारी शिकायतों के समाधान के लिए संविदा कर्मियों पर निर्भर रहते हैं, जबकि खुद 60-70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

संविदा कर्मियों को नई जिम्मेदारी देने की मांग

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन निविदा-संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव देवेंद्र कुमार पांडेय ने निगम से अपील की है कि 55 साल की उम्र पार कर चुके संविदा कर्मचारियों को लाइन के काम से हटाकर दूसरी जिम्मेदारियां दी जाएं। उन्होंने कहा कि 25 साल तक सेवा करने वाले कर्मचारियों को अचानक हटाना उनके साथ अन्याय है। ऐसे कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में डालना गलत है।

संविदा नियमों में स्पष्टता की कमी

संघ के महासचिव ने बताया कि संविदा नियुक्तियों के समय ऐसा कोई नियम नहीं था कि 55 साल के बाद कर्मचारियों को हटा दिया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने शासन से कई बार अपील की, लेकिन कोई नीति नहीं बनाई गई। महासचिव ने कहा कि जब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है, तो कर्मचारियों की संख्या घटाना उचित नहीं है।

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