18 साल बाद जेल से रिहा होंगे अमरमणि-मधुमणि
कई बार उम्मीद बंधी पर उत्तराखंड से सजा होने पर फंस जाता था पेंच
गोरखपुर: मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे अमरमणि व उनकी पत्नी मधुमणि अब साढ़े 18 साल बाद जेल से रिहा हो सकेंगे. बढ़ती उम्र और बीमारी की वजह से अमरमणि को जेल में रहते हुए ज्यादातर समय अस्पताल में ही गुजारना पड़ा. उनकी उम्र और अच्छे चाल-चलन ने ही उनकी रिहाई में मदद की है. अब रिहाई का परवाना गोरखपुर डीएम के यहां आएगा और उसके बाद जेल जाएगा. उधर, रिहाई की सूचना के बाद उनके परिवारीजनों के साथ समर्थकों में उत्साह और खुशी है.
24 अक्टूबर 2007 से पूर्वमंत्री अमरमणि अपनी पत्नी मधुमणि के साथ जेल में हैं. जेल में रहने के दौरान ही दंपति को कई बीमारियों ने भी घेर लिया है. अमरमणि को न्यूरो, मधुमेह और ह्दय रोग से जुड़ी शिकायत है. बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर में उनका लम्बे समय से इलाज चल रहा था. कुछ दिनों तक वह मेडिकल कालेज में भर्ती भी रहे.
कई बार उम्मीद बंधी पर उत्तराखंड से सजा होने पर फंस जाता था पेंच दरअसल, प्रदेश की जेलों में कैद कैदियों को रिहा करने के लिए सरकार ने रिहाई का मापदंड निर्धारित किया. इसके अंतर्गत जेल में निरुद्ध 60 वर्ष के ऊपर बुजुर्ग बंदियों और जिनकी सज़ा 10 वर्ष से ऊपर 14 वर्ष से कम की सज़ा पूरा हो चुका है, उन कैदियों की रिहाई की उम्मीद जगी. उसमें अमर मणि और मधु मणि का नाम भी प्रमुख रूप से शामिल था. दोनों इस दायरे में आ रहे थे, पर अमरमणि का मामला इस वजह से फंस जाता था क्योंकि उन्हें उत्तराखंड से सजा मिली थी.
पूर्व मंत्री अमरमणि की रिहाई के लिए उनके बेटे अमनमणि ने भी खूब संघर्ष किए. रिहाई के लिए पिता के प्रति अच्छे चाल-चलन की रिपोर्ट लगवाने के लिए वह अक्सर अफसरों के यहां चक्कर लगाते रहे.