इलाहाबाद: सनातन धर्म की ध्वजा महाकुम्भ मेला क्षेत्र में स्थापित की गई. संख्या बल में सबसे बड़े जूना अखाड़े के साथ ही आवाहन, अग्नि की धर्म ध्वजा भी स्थापित हुई. वहीं, किन्नर अखाड़े ने धर्म ध्वजा का विधि पूर्वक पूजन किया. इसे किन्नर अखाड़ा अपने प्लाट पर फहराएगा. इसके साथ ही महाकुम्भ में अखाड़ों की गतिविधियां औपचारिक रूप से शुरू हो गईं. ध्वजा स्थापना के बाद सबसे पहले ईष्ट देव के मंदिर की स्थापना होगी. उनके आशीष से आगे के सभी काम किए जाएंगे.
जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि की अगुवाई में संतों ने सबसे पहले गंगा पूजन कर महाकुम्भ की कुशलता का आशीष मांगा. इसके बाद संत अपने प्लाट पर पहुंचे और देवी देवताओं का आह्वान किया. पूर्व निर्धारित तिथि के अनुसार कालभैरव जयंती पर धर्म ध्वजा स्थापित होनी थी. सबसे पहले जूना, फिर आवाहन और अग्नि अखाड़े के शिविर में ईष्ट देवता का पूजन किया गया. तनी पूजन हुआ और फिर 52 हाथ की धर्म ध्वजा मेला क्षेत्र में फहरा दी गई. जूना अखाड़े के प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि इस दौरान आवाहन अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा व आलोक दरबार समेत सभी अखाड़ों के महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, थानापति, देश-विदेश से आए संतों की मौजूदगी रही. जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाडे के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी, आवाहन अखाड़े के सभापति जमुना गिरि, अग्नि अखाड़ा के सभापति मुक्तेश्वरानंद ब्रहमचारी, श्रीमहंत पृथ्वी गिरि, श्रीमहंत केदारपुरी, श्रीमहंत सिद्धेश्वर यति, कूच बिहार से श्रीमहंत सुमेर गिरि आदि मौजूद रहे.
माई बाड़ा का बदला नाम, अब हुआ संन्यासिनी अखाड़ा
जूना अखाड़े का माई बाड़ा अब दशनाम संन्यासिनी अखाड़े के नाम से जाना जाएगा. महाकुम्भ के पहले आधी आबादी के प्रस्ताव पर अब मुहर लगा दी गई है.
जूना अखाड़ा संख्या बल में सबसे बड़ा है. इस अखाड़े में महिला संत भी हैं. महिलाओं को महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर भी बनाया जाता है. महाकुम्भ के दौरान महिला संत जूना अखाड़े के साथ तो होती हैं, लेकिन इन्हें माई बाड़ा के नाम से जाना जाता था. पिछले दिनों महिला संतों ने नाम पर विरोध किया. उन्हें बाड़ा शब्द पर आपत्ति थी. महिला संतों ने संरक्षक महंत हरि गिरि से यह मांग हुई थी, उन्होंने महिला संतों से ही नए नाम का प्रस्ताव देने के लिए कहा था. महिला संतों ने दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा नाम करने की बात कही थी. महंत हरि गिरि ने इसे स्वीकार कर लिया है.