Agra: नगर निगम ने शहर के अस्पतालों को चार जोन में बांटा
जोनल आफिस में बनेगा जन्म प्रमाण पत्र
आगरा: आपका बच्चा यदि अस्पताल में पैदा हुआ तो उसके बर्थ सर्टिफिकेट के लिए नगर निगम नहीं जाना होगा. संबंधित अस्पताल को अपने जोनल कार्यालय में भी ऑनलाइन आवेदन करना होगा. सर्टिफिकेट अब जोनल कार्यालय से ही प्राप्त होगा. नगर निगम ने शहर के सभी अस्पतालों को चार जोन में बांट कर व्यवस्था कर दी है.
नगर निगम ने जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आने वाली भीड़ को कम करने के लिए व्यवस्था में बदलाव किया है. नई व्यवस्था के अनुसार यदि किसी का जन्म या मृत्यु किसी अस्पताल में होती है तो अस्पताल संचालक उसका पंजीकरण अपने जोन के कार्यालय में भी करेंगे. अस्पतालों के लिए आनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है. संबंधित अस्पताल को उसी जोन के कार्यालय से जन्म या मृत्यु का प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया जाएगा. किसी बालक या बालिका के प्रमाण पत्र में नाम दर्ज कराना है तो यह प्रक्रिया भी उसी जोन कार्यालय से पूर्ण हो सकेगी.
अस्पतालों का डाटा है फीड: नगर निगम में शहर के करीब 390 अस्पताल पंजीकृत हैं. अभी तक सभी अस्पतालों का पंजीकरण रजिस्टर नगर निगम में ही रखा जाता था.
जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र का कोई भी आवेदन नगर निगम में बैठे कर्मचारियों के पास ही पहुंच जाता था. इसकी वजह से वहां अधिक लोड हो जाता था. प्रमाण पत्र देने में समय अधिक लगता था. किसी भी गड़बड़ी को दुरुस्त कराने के लिए लोगों को भटकना पड़ता था. पिछले दिनों जब साइट अपडेट हुई तब परेशानी अधिक हो गई थी. जनता और कर्मचारियों की समस्या को देखते हुए नगर निगम ने व्यवस्था के विकेंद्रीयकरण का निर्णय लिया. अब लोहामंडी जोन सेक्टर नौ कार्यालय, छत्ता जोन जीवनी मंडी वाटर वर्क्स परिसर स्थित कार्यालय, ताजगंज जोन फतेहाबाद रोड कार्यालय और हरीपर्वत जोन नगर निगम परिसर कार्यालय में ही अस्पतालों से आवेदन की व्यवस्था की गई है. उनका ब्योरा अब जोन कार्यालयों में ही फीड कर दिया गया है.
नगर निगम में पंजीकृत अस्पताल जोनवार
ताजगंज- 69
हरीपर्वत- 154
छत्ता- 77
लोहामंडी- 90
इस व्यवस्था के लागू करने से काफी राहत हुई है. जनता को भी आसानी हुई है और चारों जोन में काम का बंटवारा होने से कर्मचारियों को राहत हुई है. अब अस्पताल अपने जोन कार्यालय में जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते हैं और वहीं से प्रमाण पत्र जनरेट होता है.
सत्येंद्र कुमार तिवारी, अपर नगर आयुक्त
नगर निगम की साइट अपग्रेड होने के दौरान करीब दो महीने तक व्यवस्था पटरी से उतरी रही थी. साफ्टवेयर में पंजीकरण की व्यवस्था में बदलाव हो गया था. इसका असर यह हुआ कि नगर निगम में करीब पांच हजार से अधिक मामले लंबित हो गए थे. प्रमाण पत्र लेने वालों की भीड़ लग रहती थी लेकिन अस्पतालों की व्यवस्था चार जोन में बांटने के बाद लंबित प्रकरणों को निपटाने में आसानी हुई. नगर निगम में आने वाली भीड़ अब चार जोन में बट गई है.