हाईकोई की सख्ती और फटकार के बाद प्रो. अनुराग शुक्ला फिर आगरा कालेज के प्राचार्य बने

ऑफिस पहुंचकर उन्होंने पदभार संभाला.

Update: 2024-05-14 10:01 GMT

आगरा: आगरा कॉलेज के प्राचार्य की कुर्सी पर बार फिर से प्रो. अनुराग शुक्ला बैठ गए. हाईकोई की सख्ती और फटकार के बाद को शासन को प्राचार्य पद पर प्रो. अनुराग शुक्ला को चार्ज देने के आदेश दिए. इसके बाद प्रबंध समिति अध्यक्ष ने चार्ज सौंप दिया. ऑफिस पहुंचकर उन्होंने पदभार संभाला.

बता दें कि शासन के आदेश पर कॉलेज प्रबंध समिति अध्यक्ष, मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ला को निलंबित कर दिया था. शासन ने जिन आरोपों को निलंबन का आधार बनाया था, उनके खिलाफ प्रो. अनुराग शुक्ला ने हाईकोर्ट में अपील की. कोर्ट ने शासन के आदेश को स्टे करते हुए उन्हें चार्ज देने के आदेश दिए. इसके बाद भी चार्ज नहीं दिया गया. मामले में उन्होंने कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर की. प्रो. अनुराग शुक्ला के अनुसार कोर्ट के स्टे और आदेश के बाद भी उन्हें चार्जशीट दे दी. इसके बाद वह फिर न्यायालय गए. को याचिका की सुनवाई हुई.

इस दौरान कोर्ट ने पूर्व में दिए स्टे के आदेश का अनुपालन न होने पर फटकार लगाते हुए पहले पूर्व में दिए गए आदेश का पालन कराते हुए रिपोर्ट मांगी. इस पर शासन ने प्रो. अनुराग शुक्ला को प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण कराने के निर्देश दिए. इसी के बाद प्रबंध समिति की अध्यक्ष रितु माहेश्वरी ने संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग के पत्र का हवाला देते हुए प्रो. अनुराग शुक्ला को तत्काल प्राचार्य का पदभार ग्रहण करने के आदेश दे दिए. अपर आयुक्त प्रशासन राजेश यादव ने उन्हें पदभार ग्रहण करने का पत्र सौंपा. प्रो. अनुराग शुक्ला ने आदेश प्राप्त होने के बाद देर शाम को चार्ज ग्रहण कर लिया. प्राचार्य पद ग्रहण करने के बाद प्रो. अनुराग शुक्ला ने कहा कि फरवरी में जहां कार्य छोड़ा था, उसी से आगे बढ़ाया जाएगा. कॉलेज की उन्नति ही ध्येय है और उसके लिए पूरी निष्ठा से कार्य होगा.

इन आरोपों में हुआ था निलंबन उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव प्रेम कुमार पाण्डेय की ओर से प्रो. अनुराग शुक्ला को निलंबित करने के संबंध में पत्र जारी किया था. प्रबंध समिति अध्यक्ष, मंडलायुक्त को संबोधित पत्र 10 फरवरी को जारी किया गया था. निलंबन का आधार प्रो. अनुराग शुक्ला पर लगे आरोपों की चार सदस्यीय कमेटी से करायी गयी जांच को बनाया गया. इसमें डॉ. शुक्ला का प्राचार्य पद पर अर्हता संबधी शोध अनुभव संदिग्ध माना गया. आरोपों में कहा गया है कि पार्किंग शुल्क खाते का संचालन प्राचार्य अनधिकृत रूप से कर रहे हैं. डॉ. केपी तिवारी को पुरानी पेंशन सम्मिलित कराने के संबंध में जांच के दौरान प्राचार्य द्वारा सूचना प्रेषित न कर लटकाने का प्रयास किया. निलंबन पत्र में कहा गया है कि प्रो. अनुराग शुक्ला प्रथम दृष्टया वित्तीय नियमों का पालन न करने, वित्तीय पारदर्शिता का अभाव, महाविद्यालय में गुटबाजी को प्रश्रय देकर शैक्षणिक एवं शिक्षणेतर गतिविधयों को दूषित करने, विभागीय आदेशों की घोर अवहेलना करने के षी बताया गया था.

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