रामजन्मभूमि परिसर में महर्षि वाल्मीकि संग गोस्वामी तुलसीदास जी का भी बनेगा मंदिर, जानें और क्या-क्या होगा खास

रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण का काम हर हाल में निर्धारित समय एक जून से शुरू करने पर जोर दिया गया।

Update: 2022-05-16 02:40 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण का काम हर हाल में निर्धारित समय एक जून से शुरू करने पर जोर दिया गया। यह काम रामलला के गर्भगृह स्थल पर होना है। इसके लिए निर्धारित क्षेत्रफल में फर्श को 21 फिट ऊंचा उठाने के लिए काम को गति प्रदान करने का निर्देश दिया गया। बैठक में कहा गया कि पूरे मंदिर परिसर के फर्श को 21 फिट ऊंचा करने का काम सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण के समानांतर चलता रहेगा।

मालूम हो कि पूरे फर्श के निर्माण के लिए सितम्बर तक समय तय है। रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक रामजन्मभूमि परिसर में महर्षि वाल्मीकि के साथ गोस्वामी तुलसीदास महाराज को भी सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा।
राजस्थान के खदानों से पत्थरों की निकासी बरसात से पहले हो
मंदिर निर्माण समिति के दूसरे दिन की बैठक सर्किट हाउस में हुई। इस बैठक में राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के खदानों से पत्थरों की निकासी सुनिश्चित करा लेने पर भी मंथन किया गया। राम मंदिर में करीब दस लाख घनफुट से अधिक पत्थरों की जरूरत है। इन पत्थरों की खरीद विधिक रीति से करने के लिए रामजन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से प्रयास कर कानूनी प्रतिबंध को हटवाया गया। केंद्र सरकार की पहल पर राजस्थान सरकार ने यह रोक हटा ली है जिसके बाद रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने पत्थरों का आर्डर भी बुक कर दिया है। बैठक में कहा गया कि यदि बरसात से पहले खदानों से पत्थरों की निकासी नहीं हुई तो उनकी आपूर्ति में विलंब हो जाएगा जिसका प्रभाव समयबद्ध मंदिर निर्माण पर पड़ना स्वाभाविक है।
परकोटा की परिधि में मंदिरों की संख्या छह से बढ़कर सात हुई
रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक रामजन्मभूमि परिसर में महर्षि वाल्मीकि के साथ गोस्वामी तुलसीदास महाराज को भी सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा। ट्रस्ट महासचिव का कहना है कि 21 वीं सदी में संस्कृत का प्रचलन घट गया है। संस्कृत पढ़ने व समझने वाले दुर्लभ लोग रह गये हैं। ऐसे में भगवान राम के जीवन से सबसे पहले परिचित कराने वाले महर्षि के साथ लोकभाषा में श्रीरामचरितमानस की रचना करने वाले कलिपावनावतार गोस्वामी जी का भी मंदिर बनाने पर सैद्धांतिक सहमति हो गई है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के रुप में जगतजननी जानकी व भगवान राम से जिनकी अभिन्नता सर्वविदित है ऐसे निषादराज, माता शबरी और जटायुराज के मंदिर पर सहमति बन चुकी है। अब कहां स्थान नियत हो, इस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा गणपति का भी स्वतंत्र मंदिर जिसमें प्रधान देवता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा का निर्णय भी हो चुका है।
2023 तक मंदिर निर्माण के साथ यात्री सुविधा केंद्र का भी हो जाएगा निर्माण
दो दिवसीय बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुए रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के साथ समानांतर यात्री सुविधा केंद्र विकसित करने पर सहमति हो गयी है। उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशन व अन्य स्थानों से सीधे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले करीब 25 हजार श्रद्धालुओं के लिए सुविधा केंद्र बनाया जाएगा जिसमें यात्रियों के सामानो को रखने के लिए लाकर विश्रामालय इत्यादि शामिल होगा। यह योजना रामजन्मभूमि के निकटतम प्रवेश स्थल पर विकसित की जाएगी।
राज ठाकरे को रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव का भी मिला समर्थन
मनसे प्रमुख राज ठाकरे के अयोध्या आगमन पर छिड़े घमासान के बीच रविवार को रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने भी उनके विरोध को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान के दरबार में सबका स्वागत है और ठाकुर जी ने कभी किसी को नहीं रोका। मालूम हो कि ट्रस्ट महासचिव के इस बयान से अयोध्या सांसद लल्लू सिंह के पक्ष को थोड़ी मजबूती मिली है। हालांकि गोण्डा जनपद के सांसद ब्रजभूषण शरण सिनह लगातार विरोध में अभियान चला रहे हैं। उन्होंने रविवार को गुरु गोविंद सिंह धाम गुरुद्वारा नजरबाग में माथा टेका और जत्थेदार बाबा महेन्द्र सिंह का आर्शीवाद लिया।जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
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