विदेशी तेल की मंदी घटा रही सरसों की कीमत, मुनाफे के फेर में कर लिया स्टॉक

Update: 2023-01-13 12:38 GMT

कोटा: विदेश से आने वाले खाद्य तेलों के मंदा होने के कारण यहां पर सरसों के भावों में लगातार गिरावट का दौर बना हुआ है। भावों में मंदी के कारण जिले के किसानों और स्टॉकिस्टों को काफी नुकसान पहुंच रहा। पिछले वर्ष सरसों के भाव काफी तेज रहे थे। इस कारण बड़े किसान और व्यापारियों ने अधिक मुनाफे के फेर में सरसों का स्टॉक कर लिया, लेकिन अब सरसों के भाव में गिरावट आने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। विदेशी खाद्य तेल की कीमत का सीधा असर सरसों के भाव पर पड़ता है।

60 प्रतिशत तक होता है आयात

देश में खाद्य तेलों की कुल खपत का लगभग 55 से 60 प्रतिशत तक आयात होता है। यही कारण है कि विदेशी तेल की कीमतों से सरसों के भाव प्रभावित होते हैं। वहीं इस बार सरकार की ओर से स्टॉक लिमिट लगाने से किसानों ने जल्दबाजी में माल का बेचान शुरू कर दिया। इससे सरसों के भाव में काफी मंदी रही। इस दौरान भाव बढऩे की उम्मीद में सरसों का स्टॉक करने वाले बड़े किसानों व व्यापारियों को अब घाटे का सामना करना पड़ रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि पुरानी सरसों बिकी नहीं और अब नई फसल आने की तैयारी है। व्यापारियों के अनुसार कोटा की भामाशाहमंडी में 15 फरवरी से नई सरसों बिक्री के लिए आने की संभावना है।

सरकारी खरीद 5400 से अधिक रहने की उम्मीद

व्यापारियों के अनुसार सरकार ने अब सरसों की स्टॉक लिमिट समाप्त कर दी है। इसके साथ ही वर्तमान में विदेशी तेल की कीमतें 5500 से 6 हजार रहने से नई सरसों की सरकारी खरीद 5400 से ऊपर रहने की संभावना जताई जा रही है। वहीं सरकार की ओर से विदेशी खाद्य तेलों पर फिर से आयात शुल्क लगाने की उम्मीद है। पिछली बार विदेशी तेल मंहगे होने से सरसों के भाव 7200 रुपए प्रति क्विंटल रहे थे। स्टॉकिस्टों को उम्मीद थी कि इस बार सरसों के भाव 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंचेंगे। जबकि इस बार विदेशी खाद्य तेल के भाव मंदे होने से सरसों स्टॉकिस्टों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उत्पादन बढ़ने से कीमतों पर पड़ा असर:

पिछली बार सरसों का उत्पादन कम होने से बाजार भाव अच्छे रहे। इससे किसान सरसों की फसल को लेकर काफी आकर्षित हुए। इससे इस बार उत्पादन में वृद्धि होने का सरसों के भाव पर असर पड़ा। इसके साथ ही सरकार की ओर से सरसों की स्टॉक लिमिट 2 हजार क्विंटल करना भी सरसों के भाव में गिरावट का कारण माना जा रहा है।

सरकार की पॉलिसी भी जिम्मेदार: व्यापारी सुरेशचंद अग्रवाल ने बताया कि पिछली बार सरकार की ओर से विदेशी तेलों पर 20 से 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क वसूला गया। इससे विदेशी खाद्य तेलों की कीमत अधिक होने से सरसों के भाव में इजाफा हुआ। इसको नियंत्रण में रखने के लिए इस बार सरकार ने सरसों के स्टॉक सीमित रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही विदेशी तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया। ताकि सरसों के दाम में बढ़ोतरी नहीं हो। ऐसे में सरकार की पॉलिसी भी सरसों के भाव में मंदी का मुख्य कारण रही।

ऐसे गिरे सरसों के भाव

7 जनवरी - 75 रुपए

9 जनवरी - 150 रुपए

10 जनवरी - 100 रुपए

11 जनवरी - 150 रुपए

सरसों उत्पादन में प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। ऐसे में राजस्थान प्रदेश को तिलहन प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए। ताकि प्रदेश के किसानों एवं नए तेल उद्योगों को इसका लाभ मिल सके। कई किसानों ने सरसों का स्टॉक कर रखा है, लेकिल भाव में मंदी होने से नुकसान हो रहा है।

-रामलाल धाकड़, किसान आमली गांव

किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिले, इसके लिए सरकार को विदेशी खाद्य तेलों पर अंकुश लगाना होगा। इसके साथ ही खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी सरकार को सार्थक प्रयास करने चाहिए।

-पंकज कुमार, सरसों व्यापारी

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