सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान HC के आदेशों को किया निरस्त, कहा- जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही कोई अदालत महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी नहीं कर सकता

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही कोई अदालत आरोपी के खिलाफ लगाये गये आरोप और दोषी करार दिये जाने पर सजा की गंभीरता जैसे मामले के महत्वपूर्ण पहलुओं को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं सकती है.

Update: 2022-03-12 01:20 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने शुक्रवार को कहा कि जमानत अर्जी (Bail application) पर सुनवाई कर रही कोई अदालत आरोपी के खिलाफ लगाये गये आरोप और दोषी करार दिये जाने पर सजा की गंभीरता जैसे मामले के महत्वपूर्ण पहलुओं को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं सकती है. शीर्ष न्यायालय ने 2019 में राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) द्वारा जारी दो आदेशों को निरस्त करते हुए यह कहा है. उच्च न्यायालय ने हत्या के एक मामले में दो आरोपियों को जमानत दी थी. आरोपियों को दी गई जमानत को चुनौती देते हुए मृतक की पत्नी द्वारा दायर अपील पर अपने फैसले में न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आदेशों को जारी करने के दौरान मामले के एक भी मूलभूत पहलू पर गौर नहीं किया.

पीठ ने शीर्ष न्यायालय के पहले के कुछ फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि जमानत देते हुए एक अदालत के लिए विस्तृत कारण बताना जरूरी नहीं है, खासतौर पर जब मामला शुरूआती चरण में हो. शीर्ष न्यायालय ने कहा, ''हालांकि, जमानत अर्जी पर फैसला करने के दौरान अदालत आरोपी के खिलाफ लगाये गये आरोप, आरोप साबित होने पर सजा की गंभीरता, आरोपी की आपराधिक पृष्ठभूमि और आरोपी के खिलाफ आरोप के समर्थन में अदालत का प्रथम दृष्टया सहमत होने जैसे मामले के महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती.
जेल सुधारों की सिफारिश के लिए समिति से अदालत ने मांगी रिपोर्ट
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जेल सुधारों की सिफारिश करने के लिए गठित समिति से आज से छह माह में रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट मिलने के बाद कोर्ट आगे सुनवाई करेगी. जस्टिस एल. नागेश्वर राव व जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने समिति को शुक्रवार को यह आदेश दिया. पीठ ने रिपोर्ट आने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश उस याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें समिति को एक महीने में अंतिम रिपोर्ट देने का निर्देश देने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में उक्त समिति के सामने आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया.
देश की 1,382 जेलों में अमानवीय स्थिति
शीर्ष अदालत देश भर की 1,382 जेलों में अमानवीय स्थिति से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेल सुधारों की सिफारिश करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अमिताभ रॉय की अध्यक्षता वाली समिति देश भर की जेलों की समस्याओं को देख रही है और उनसे निपटने के उपाय सुझा रही है.
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