पीड़ितों का हमदर्द बना सखी सेंटर, उनके घर टूटने से बचाया

Update: 2023-09-22 10:59 GMT
पाली। पाली घर से भटकी किशोरियों, युवती व प्रताड़ना से ग्रसित महिलाओं के लिए पाली में बना वन स्टॉप सेंटर (सखी) एक तरह से सहेली के तौर पर मदद दे रहा है। राह से भटकी बेटियों को जहां राह दिखाई जा रही है तो उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को राहत मिल रही है। करीब छह साल के इस सफर में 1177 में से 1170 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है। पाली में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से 13 अक्टूबर 2017 से बांगड अस्पताल परिसर में ये केंद्र खोला गया। केंद्र खुलने के बाद इसमें घरेलू हिंसा, लैंगिक उत्पीड़न, मानव तस्करी, गुमशुदा, साइबर क्राइम, बाल विवाह, विवाह में चयन का अधिकार, बाल यौन उत्पीड़न, छेड़खानी या पीछा करना आदि महिलाओं से जुड़े प्रकरणों का समाधान किया गया। विभाग की ओर से इनकी काउंसिलिंग की जाती है और उनको न्याय दिलवाया जाता है। सेंटर में छह से आठ साल तक के बच्चे आते हैं, तो उनको अपनी मां के साथ रहने की अनुमति दी जाती है। सखी सेंटर में ऐसी पीड़िताओं को कम से कम पांच दिन तक रखा जाता है, लेकिन डिमांड अधिक हो तो 10 दिन तक भी उनको रखने का प्रावधान है। हिंसा से पीड़ित महिलाओं व बालिकाओं को एक ही छत के नीचे अस्थायी आश्रय देने के साथ ही पुलिस, विधिक सहायता, चिकित्सा सुविधा, मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर खोले गए। वन स्टॉप सेंटर की जानकारी महिलाओं तक पहुंचाने के लिए जिले के प्रत्येक थानों के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी योजना से संबंधित जानकारी वाले पोस्टर लगवाए जा रहे हैं। केन्द्र पर अब तक आए प्रकरणों का निस्तारण कर महिलाओं का सहयोग किया गया है।
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