राजस्थान न्यूज: जाट और राजपूत प्रत्याशी में मुकाबला, JNVU के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला हुआ रोचक

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Update: 2022-08-15 16:58 GMT
जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (Jai Narain Vyas University) के छात्रसंघ चुनाव में इस बार मुकाबला जोरदार और धमासान होने की उम्मीद (Student union election in JNVU) है. कारण है एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों के अध्यक्ष के पद के प्रत्याशी सामने आने के बाद दोनों दलों के मजबूत दावेदार बागी के रूप में मैदान में आ गए हैं. खास बात यह है कि दोनों संगठनों के बागी भी जाट व राजपूत हैं. ऐसे में मुकाबला सीधे तौर पर एक बार फिर जाट राजपूत के बीच होना तय हो गया है.
सबसे बड़ी परेशानी एनएसयूआई के लिए है. संगठन से प्रत्याशी के रूप में दावेदार रहे अरविंद सिंह भाटी ने एसएफआई का हाथ थाम लिया है. भाटी ने कहा कि जिस संगठन से मैंने तैयारी की उसने मुझे नजरअंदाज किया. संगठन नहीं उसमें बैठे लोग खराब होते हैं. प्रभारी ने मुझे प्रत्याशी बना दिया था, माला पहना दी थी. लेकिन दस मिनट बाद ही बदल गए. अब 27 अगस्त को जो परिणाम होगा, वह इसका जवाब होगा. एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर सवाल उठ रहे (NSUI candidates for student union elections) हैं. ओसियां व बिलाड़ा विधायकों ने अपने क्षेत्र के घोषित प्रत्याशी को लेकर भी नाराजगी जताई है.
एबीवीपी के बागी जोधा मैदान में: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जेएनवीयू में ज्यादातर राजपूत प्रत्याशी ही उतारता रहा है. यही कारण है कि मोतीसिंह जोधा ने दावेदारी की. उसके साथ ही राजवीर सिंह बांता ने भी दावेदारी की. करीब 11 साल बाद एबीवीपी ने अपनी रणनीति बदली और जाट प्रत्याशी के रूप में राजवीर को प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद मोती सिंह जोधा मैदान में आ गए. चुनाव लड़ने का एलान कर कार्यालय खोल दिया. दूसरी और एनएसयूआई जाटों को प्रत्याशी बनाती आई है, लेकिन राजपूत भी इस संगठन से अध्यक्ष बने हैं. इसलिए अरविंद सिंह भाटी मशक्कत कर रहे थे. संगठन ने हरेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बना दिया.
दोनों के लिए यह परेशानी: अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी व एनएसयूआई से जाट प्रत्याशी हैं. उनके सामने उनके बागी दोनों राजपूत हैं. एबीवीपी (ABVP candidates for student union elections) का कोर वोटर राजपूत है, जिसके छिटकने की पूरी आशंका है. यह वोटर अरविंद सिंह भाटी की ओर ज्यादा जाने की संभावना है, क्योंकि उसे पूर्व अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी का भी समर्थन है. साथ ही एसएफआई का भीश जिसका कोर वोटर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र हैं. उनका झुकाव भाटी की ओर होने से वजन बढ़ सकता है. दूसरी और अध्यक्ष के दोनों संगठनों के जाट प्रत्याशी राजवीर व हरेंद्र चौधरी के बीच जाटों के वोट बटेंगे. इनमें ज्यादा वोट लेने वाला भारी पड़ेगा. लेकिन उन्हें दूसरे वोट भी चाहिए. क्योंकि सिर्फ जातिगत वोटों से भी जीतना आसान नहीं है.
एनएसयूआई के प्रत्याशी चयन पर विधायक नाराज: जिले के महाविद्यालयो में छात्रसंघ चुनाव की चौसर बिछ चुकी है. अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन हो गए हैं. लेकिन एनएसयूआई के प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस के ही विधायकों ने एतराज जताया है. इनमें ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा व बिलाड़ा विधायक हीराराम मेघवाल शामिल हैं. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई द्वारा आरएलपी समर्थक को बावडी महाविद्यालय में प्रत्याशी बनाने पर एतराज जताया, तो मेघवाल ने बिलाड़ा में एनएसयूआई ने जिसे प्रत्याशी बनाया था उसको लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. दिव्या मदेरणा ने एनएसयूआई के प्रभारी गुरूजोत संधु को इसको लेकर ट्विट भी किया.

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