राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- केंद्र एवं राज्य सरकार बताए नाम से पहले राजा-महाराजा लगा सकते हैं या नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या कोहई व्यक्ति कोर्ट या ट्रायल के समक्ष अपने नाम से पहले महाराजा, राजा, नवाब राजकुमार आदि लगा सकता है या नहीं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या कोहई व्यक्ति कोर्ट या ट्रायल के समक्ष अपने नाम से पहले महाराजा, राजा, नवाब राजकुमार आदि लगा सकता है या नहीं। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश समीर जैन ने यह अंतरिम आदेश एक याचिका पर दिए। राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के एडिशनल साॅलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी और राज्य सरकार के महाधिवक्ता एमएस सिंघवी को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या कोई व्यक्चि अपने नाम से पहले राजा या महाराजा शब्द लगा सकता है।
भरतपुर रियासत से जुड़ा मामला
राजस्थान हाईकोर्ट ने तत्कालीन भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह के बेटों के बीच संपत्ति विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल पूछा। कोर्ट ने कहा कि संविधान में 26 वां संशोधन कर अनुच्छेद 363 ए जोड़ा गया है। जिसमें पूर्व राजपरिवार के अधिकारों को समाप्त किया जा चुका है। वहीं संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी लोगों को समानता का अधिकार दिया गया है। ऐसे में अब कोई भी अपने नाम से पहले महाराजा आदि शब्द नहीं लगा सकता है। इसके बावजूद अपील में पक्षकार ने अपने नाम से पहले राजा शब्द लिखा है। ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकार बताएं क्या कोई व्यक्ति पहले इस तरह की उपाधि लगा सकता है या नहीं।
विवाद इसलिए हाईकोर्ट पहुंचा
याचिकाकर्ता की वकील सुरुचि कासलीवाल ने बताया कि बरवाड़ा हाउस के स्वामित्व से जुड़े मामले में निचली अदालत ने एक गवाह की साक्ष्य की अपील बंद कर दी थी। ऐसे में हाईकोर्ट में अपील पेश की गई। जिसकी सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि पक्षकार के नाम से पहले राजा शब्द लिखा हुआ है। ऐसे में अदालत ने केंद्र एवं राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। मामला इसी प्रकरण से संबंधित है।